ऊ अकेले नइखे: विष्णुदेव तिवारी
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विष्णुदेव तिवारी के एगो भोजपुरी कविता: ऊ अकेले नइखे ऊ अकेले नइखे ओकरा संगे बा कहिए से तहियावल एगो बारूद एगो लुतुकी एगो विचार एगो विचारधारा कि अपना के देखावे के बा कि दोसरा के बतावे के बा कहाए के बा सिरमौर धरती के आकाश के हवा-बतास के। ओकरा बतावे के बा कि ग्रह-नखत ओकरे मरजी से उगेले बिसवेले जब ऊ दाँत गड़ावेला त' बादर बरिसेले नोह गड़ावेला त' समुंदर तेरह चँगुरा धँसेले। ओकरा बहुत कुछ बतावेके बा लोगन के समुझावे के बा कि जवना घरी दुनिया के मए जनमतुआ रोवत-रोवत साँसी टाँग लीहें ऊ फोंफी बजाई खून पीही गीत गाई नाची। बाकिर तब ओकरा गूँग खुशी के गवाह के बाँची? विष्णुदेव तिवारी, बक्सर