संदेश

जून, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

भजु रे मन भलुनी भवानी: हरेश्वर राय

चित्र
नीयराइल बा फेर से चुनाव भजु रे मन भलुनी भवानी। कउअन के होई कांव कांव।।भजु...।। पांच बरीस प साजन अइहें संगे संगे गोधन के ले अइहें गांवें- गांवें होई मन- मोटांव।।भजु...।। गर में गेना के माल पहीरले धोतीखूंटा के जेबी में डरले फेंकरत फिरीहें गांवें- गांव।।भजु...।। कबो धुआं जस मुंह बनइहें आपन जूत्ता अपनहीं खइहें चलत रहीहें नया नया दांव।।भजु...।। जीतीहें जइहें फेरू ना अइहें लूटीहें कूटीहें आ पीहें खइहें पूछीहें कब्बो ना नांव- गांव।।भजु...।। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

मन उदास बा: हरेश्वर राय

चित्र
सुखात नदी जस मन उदास बा। असरा के चान प लागल बा गरहन सपना के पांखी प घाव भइल बड़हन डेगे डेग पसरल खाली पियास बा। आंखी के बागी में पतझड़ के राज बा मन के मुंड़ेरा प गिर रहल गाज बा उदासी के गरल से भरल गिलास बा। हंसी के फूल प उगि आइल सूल खुसी के खेत में बा जामल बबूल केकरा के कहीं गैर के आपन खास बा। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

इहे हाल चाल बा: हरेश्वर राय

चित्र
गईंया के पकड़ी प बइठल बा गीध मुस्किल मनावल बा होली आ ईद। खेतन में एह साल फूटल बा भूआ सहुआ दुआरी पर बइठल बा मूआ। चूल्हन के फोरि फोरि माटी बंटाईल आगन के छाती बा चरचर चिराईल। मेहरि के ठेहुन के तेल सुखाइल बा बेटी के आंख में माड़ा फुलाइल बा। मू गइले बाबू हमार भइल ना दवाई माई के पिनसीन प होखता लड़ाई। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

नारायण नारायण नारायण: हरेश्वर राय

चित्र
बिली सब दिल्ली गइली सन, कुक्कुर कासी धाम गदहा सभ घोड़ा भइलन स, गटक गटक के जाम सिरिमन नारायण नारायण नारायण.. सिरिमन...। जवन मुंह जुतिआवे लाएक, बड़ कचरत बा पान उल्लू के पट्ठवन भीरिए सभ, सिरी उधव के ज्ञान सिरिमन नारायण नारायण नारायण.. सिरिमन...। जेकर कुरुतवा जतने लमहर, ओतने दाम हंसोथे जे कबहूं ना बोवल खेंसारी, सभकर बूंटवा चोंथे सिरिमन नारायण नारायण नारायण.. सिरिमन...। जेही लगावत फेंड़ बबुरी, चाभ रहल मलगोफ्फा जे बंसखटिया के लाएक ना, तूर रहल बा सोफा सिरिमन नारायण नारायण नारायण.. सिरिमन..। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

अंदर के बाघवा जगावे चलीं: हरेश्वर राय

चित्र
थीर पानी में छिछिली कटावे चलीं कोना कोना से जाला हटावे चलीं। जदी अंगुरी अंगार से बचावे के बा ठोस लोहा के सिउंठा बनावे चलीं। मनवां उड़े के बाटे आकसवा में तs चलीं बझवन से पंजा लड़ावे चलीं। कारी रतिया के करे दुरगतिया बदे चलीं अंजुरी में सुरुज उठावे चलीं। अगर जीए के बड़ुए त लड़हीं पड़ी चलीं अंदर के बाघवा जगावे चलीं। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

हिपिप हुर्रे हुर्रे: हरेश्वर राय

चित्र
गउआं सहरियो से आले हिपिप हुर्रे हुर्रे गारी भरल बा गालेगाले हिपिप हुर्रे हुर्रे। सतुआ घुध्धुनिआ के मोलवा खतम बा चलsतरुए ढोसा मसाले हिपिप हुर्रे हुर्रे। माई बाबू अपना बुढ़उती के लठिआ से भोरे भोर रोजहीं कुटाले हिपिप हुर्रे हुर्रे। रिस्ता ना बांचल बा तलवा तलइयन से पाइप से भुअरी धोआले हिपिप हुर्रे हुर्रे। ढेरी के ऊपरा बढांव बब्बवा बइठल बा नीचवा से रोज मूस चाले हिपिप हुर्रे हुर्रे। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

बिधाएक हो गइल: हरेश्वर राय

चित्र
बिधाएक हो गइल जी, बिधाएक हो गइल रहे नकटा नालायक जी बिधाएक हो गइल। एमेबीएफ कइके नकटा घोंके लागल पउवा खाए लागल मुरगा मुरगी खंसी पाठी कौआ टोल मुहल्ला खातिर उ दुखदाएक हो गइल। चेला चटिया बनले ओकर चोर उचक्का ढेरो गैंड़ा के कुछ खेत हटाके लेलस कीन बलेरो उ बीर बहादुर एम पी के सहाएक हो गइल। मोहे लेचल पटिआ के त मिलल ओके टिकट पोलिंग दिने हरेक बूथ प भइल लड़ाई बिकट भारी मत से जीत के नक्कट नाएक हो गइल। गाड़ी साड़ी कुल्हि मिलल मिलले ढेरो संतरी लाद के सोना घूमे लागल अपना गतरी गतरी अब एक नमर के नकटा खलनायक हो गइल। नोट: १.एमएबीएफ= मैट्रिक अपीयर्ड बट फेल्ड। २. मोहे लेचल= पाटी के नांव ह। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

गाँव के हाल: हरेश्वर राय

चित्र
गउंवे के लइकी ले भागल  बा मलुआ मौगी के ओकरा घोंटात नइखे हलुआ। जटुल कक्का भइल बाड़े नेता  निठाह बुढ़ौती में नक्कट के भइल हा बिआह। पांच काठा बांचल रहे उहो बिकाइल हा भिखारी के नाधा आ जोती टंगाइल हा। पुजारी जी के जियरा परल बा सकेत में भगतिनिया के संगे धराइल बाड़े खेत में। पंडइया के रखनी चुनाइल बिया मुखिया देखीं उघारत बिया केकर केकर बखिया। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

एनिए के भइनी ना ओनिए के रहनीं: हरेश्वर राय

चित्र
अपने मुलुक में हम भइनी बिदेसिया जी कहां जाके जिनिगी बिताईं ए संघतिया। सांझ बिहान छूटल बाबा के दलान छूटल हम दिल के दरद का बताईं ए संघतिया। तीज तेवहार गइल जियल मोहाल भइल अब मनवां में घुलता खंटाई ए संघतिया। कहूं गारी खात बानी कतहूं पिटात बानी कहां जाके हाड़ावा  ठेठाईं ए संघतिया। गांव घर मुंह फेरल नाहीं केहु परल हरल बा रोकले रुकत ना रोवाई ए संघतिया। एनिए के भइनी ना ओनिए के रहनीं जी मोर मन करे फंसरी लगाईं ए संघतिया। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

गाँव में: हरेश्वर राय

चित्र
पिरितिया के छौंड़ी पढ़ावले जोगा सिरतिया के छौंड़ा बनल ह दरोगा गड़ही में  कवनो के गिरल बा पेट बढ़ि गइल मुरुगा आ दारु  के रेट हर जगहा एकरे चरचा बा गांव में। आईल गइल बाs नेवता हंकार बा बेटी बहुरियन के सवख सिंगार बा गैस बा गाड़ी बा दूध के उठौना बा बाबू के फीस बा बुची के गौना बा बबुआ रे! बड़ी खरचा बा गांव में। चोरी चकारी बा केस फौजदारी बा काली मंदीरवा प चोरवा पुजारी बा कतो बा भुईंहारी कतो बा राजपूती हरलका मुखिअवा लगावताs लूती सुगना रे! मरीचे मरीचा बा गांव में। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

हम्मर पप्पू हो गइल बा अधकपारी ए लोगे: हरेश्वर राय

चित्र
हम्मर पप्पू हो गइल बा अधकपारी ए लोगे बीगहा बइ कके किनले बा सफारी ए लोगे। डाल बिहंचली गरवा गमछी रउंदे गांव जवार एकरा भइल बाटे लफुअन से इयारी ए लोगे। गहुम चाउर बूंट मटर के दाना भइल मोहाल इजत भइल बिया मोरी अब खेंसारी ए लोगे। बाप ददा के कइल कमाई हवा में उधियाइल मनवां करत बड़ुए रोईं पुक्का फारि ए लोगे। गांव के तीसी में ना बांचल बड़ुए तनिको तेल चलनीं देंह ठेठावे खातिर माराफारी ए लोगे। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

भछि जाईं गरीबवन के रासन पिया: हरेश्वर राय

चित्र
अब का करे के बाटे जोगासन पिया रउरा मुठी में आइल परसासन पिया। मुखिअइया मिलल बा बड़ी भागि से एगो चनिया के लेलीं सिंघासन पिया। मनsरेगवा करोनवा के माल चांप लीं भछि जाईं गरीबवन के रासन पिया। अब सफारी कीनीं धुरि उड़ावत चलीं पीहीं कोटवा के सरबे किरासन पिया। रोज कलिया दुकलिया के इज्जत लूटीं रउआ संचहूं के बनिके दुसासन पिया। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

चानी काटsत बानी रउआ राजधानी में: हरेश्वर राय

चित्र
पतझड़ ढुकल आके हमनी के बगानी में चानी काटsत बानी रउआ राजधानी में । फूलन के बूनी में रावा ओने भींजत बानी एनिया बज्जर गिरतs खेत- खरिहानी में । साठा वाला पाठा बनके जानी उड़त बानी घुनवा लागि रहल बा हमनी के जवानी में । छानत घोंटत रावा बानी मेवा अउर मलाई खलिहा तसला एनिआ ढनकता चुहानी में । हमनी के बोली भासा के कइनी भूंसी भूंसी रावा बोलत बानी खलिसा अब जापानी में। आईं आईं राजा जानी आंख बिछवले बानी चुकुता करबs कुल्ह हिसबवा अगुआनी में। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

आइ हो दादा: हरेश्वर राय

चित्र
सपन एगो देखनी भोरहरिया, आइ हो दादा मुखिया भइली मोर मेहरिया, आइ हो दादा। मोरे दुअरा उमड़ रहल बा सउंसे गांव जवार लाग रहल बा देबी जी के नउंवा के जयकार बाजवा बाजतs बा दुअरिआ, आइ हो दादा। धक्कमधुकी ठेलाठेली जुलूस निकलल भारी आगे आगे नवकी मुखिया पीछवा से नर नारी करत जयजय जयजयकरिया, आइ हो दादा। चौकठ चौकठ घुमे लगली नेवा नेवा के सीस बड़ बूढ़न से मांगत गइली अपना के आसीस गोड़ पर धइ धइ के अंचरिया, आइ हो दादा। उहांके पीए हो गइनी हम दून भइल मोर सान आगा पाछा डोलत बानी सुबह से लेके साम छोड़ि के खेतs आ बधरिया, आइ हो दादा। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

पढ़ लिखके का कइलs: हरेश्वर राय

चित्र
पढ़ लिखके का कइलs भइया पढ़वइया कमाइ दिहलस पपुआ खांचा भर रुपइया। मंतरी बिधायकsजी के खास भइल बड़ुए गउआं के लफुअन के बौस भइल बड़ुए मुखियाजी के कांखि के भइल बा अंठइया।। कमाइ......। मुंसी पटवारी जी के करेला दलाली मुंहवां में पान लेके करेला जुगाली भोरहीं से लाग जाला फांसे में चिरइयां।। कमाइ......। हिन्दीओ बोलि लेला भोजपुरी बोलि लेला रोजे रोज मुड़ेला ई नाया नाया चेला अगिया लगवले बाटे गंइयां में मुदइया।। कमाई......। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

रंगदार हो गइल: हरेश्वर राय

चित्र
रंगदार हो गइल मोरा गांव के लल्लू। ठेलठाल के इंटर कइलस बी ए हो गइल फेल रमकलिया के रेप केस में भोगलस कुछ दिन जेल त सरदार हो गइल मोरा गांव के लल्लू। खादी के कुरुता पैजामा माथे पगरी लाल मुंह में पान गिलौरी दबले चले गजब के चाल ठेकदार हो गइल मोरा गांव के लल्लू। पंचायत चुनाव में कइलस नौ परपंच समरसता में आग लगाके चुनल गइल सरपंच सरकार हो गइल मोरा गांव के लल्लू। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

गुमसुम गाँव उदास: हरेश्वर राय

चित्र
अहरी के कगरी बइठल बा गुमसुम गाँव उदास। सूखल नदिया नरवा सूखल बाहा पइन के धरवा सूखल लमहर भइल पियास। जामुन सूखली सूखले गुलर चढ़ल करइली नीमी ऊपर सोपह भइल मिठास। धुआँ पी के खाँस रहल बा साँचल बाँचल नास रहल बा मरूआ गइल पलास। दुअरा दुअरा भइल सियासी देवचउरा ले रहल उबासी सगरो घुलल खॅटास। तीसीआ में ना बाँचल तेल साफे खतम दिया के खेल अब का होई उजास। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

जागु रे बबलुआ: हरेश्वर राय

चित्र
आरे अबहीं ले सुतले बाड़े, सुनु आ गइल करोना, भागुभागु रे बबलुआ। एकरा बारे में सुनिके त, फाटत मोर महमंड बुतल कतने के चिराग, भागुभागु रे बबलुआ। दारु मुरुगा मछरी के त, तें पंजरा जनि जइहे खइहे पलकी के साग, भागुभागु रे बबलुआ। प्रेम मोहबत के फेरा में, तें तनिको मति परिहे मुंहें डलले रहिहे जाब, भागुभागु रे बबलुआ। जेबी में तें रखले रहिहे, गोरकी माटी के ढेली मले खतिरा दूनहूं हाथ, भागुभागु रे बबलुआ। जवन-जवन कहतानी, तवन-तवन सभ मनिहे ना त मुइबे फेंकके झाग, भागुभागु रे बबलुआ। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

चलो अब गांव चलें: हरेश्वर राय

क्या सोच रहा नादान चलो अब गांव चलें ये शहर हुआ बेईमान चलो अब गांव चलें। है यहां ना दाना-पानी यहां हवा हुई तूफानी अब सांसों पर पहरा है सांसत में भरी जवानी गठियाके सत्तू पिसान चलो अब गांव चलें। है दूर बहुत ही जाना चप्पल है फटा पुराना राह बहुत मुश्किल है है भारी बोझ उठाना ऊपर से जेठ जवान चलो अब गांव चलें। ना यदि पहुँच पायेंगे तो राह में मर जाएंगे बच भी यदि गए हम ना लौट कभी आयेंगे मान रे मनवा मान चलो अब गांव चलें।

कमाए अब ना जाइब ए बाबा: हरेश्वर राय

चित्र
चाहे लाख रावा हमके समुझाईं कमाए अब ना जाइब ए बाबा। जेकरे खातिर हम कइनी आपन कुरबान जवानी बिपतकाल में उहे करत बा हमरा संग बएमानी बिना मोल के भइल सेवकाई।।कमाए..।। हमीं बिछवनी रेल पटरिया हमीं बनवनी पूल महल अटारी हमीं बनवनी हमीं खिलवनी फूल हमरे होता लाटा जस कुटाई।।कमाए..।। ओने से तो गइबे  कइनी एनिओ के ना बानी त्रिशंकु के हाल भइल बा बीचहीं लटकल बानी हाथ मलतानी छूटता रोवाई।।कमाए..।। गवहीं मरब गवहीं खपब बहरा अब ना जाइब किरिया खाके कहतानी एहीजे जीयब खाइब चाहे लाख रउरा मारीं गरियाईं।।कमाए..।। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

आकार ले रहा नव जहान: हरेश्वर राय

काल बहुत बलवान सखे! सच काल बहुत बलवान। दृश्य नया, परिदृश्य नया प्रसंग और परिप्रेक्ष्य नया असमंजस में रंगमंच है खलनायक अदृश्य नया खड़ा गा रहा ध्वंस गान। कुसुमाकर के कुसुम उदास अभिशप्त सब अमलतास दुविधा में संसार समूचा भोग रहा अब कारावास जड़ीभूत ज्ञान - विज्ञान। छिन्न-भिन्न संबंध हुए सब शक्तिहीन उपबंध हुए सब मूल्यों ने खो दिए अर्थ हैं अर्थहीन अनुबंध हुए सब निष्फल सारे प्रावधान। व्यवहार की भाषा बदल गई त्योहार की भाषा बदल गई बदल गई सब परम्परायें परिभाषाएं बदल गईं आकार ले रहा नव जहान।

ना रे रे बाबा ना बाबा: हरेश्वर राय

चित्र
मति छोड़ के जइहs गांव, ना रे रे बाबा ना बाबा केहू दहीने मिली ना बांव, ना रे रे बाबा ना बाबा। बाग - बगइचा सब छुट जइहें, छूटिहें खेत बधार बर्हम बाबा के छूटी चउतरा, छूटिहें छठ -एतवार नाहिं धाम मिली ना छांव, ना रे रे बाबा ना बाबा। मालिक से तू बन जइबs, ए सुगवा तू मजदूर ओठ झुराई,  देंह सुखाई, आरे हो जइब अमचूर मटिया में मिल जाइ नांव, ना रे रे बाबा ना बाबा। तरकूल के अंठिली अस होइहें दिनहीं रात पेराई सुस्ताए के समय ना मिली, रहि रहि छूटी रोवाई लगिहें रोज घाव कुठांव, ना रे रे बाबा ना बाबा। भोर दिखी ना सांझ दिखी, ना लउकी तारा तरई दूध- दही सपना होइ जाई, खइब तू सूखल मुरई रोजे याद परी तोहे गांव, ना रे रे बाबा ना बाबा। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

सुन्दर भोर: हरेश्वर राय

चित्र
अम्बर के कोरा कागज़ प ललका रंग छिंटाइल बा, सोना रंग सियाही से सुन्दर भोर लिखाइल बा। नीड़ बसेरन के कलरव के सगरो तान छेड़ाइल बा, अन्धकार के कबर के ऊपर आस उजास रेंड़ाइल बा। मंद पवन मकरंद बनल बा नीलकमल मुसुकाइल बा, मोती रूप ओस धइले बा गुलमोहर सरमाइल बा। भानु बाल पतंग बनल बा तितली दल इतराइल बा, कोयल, संत, सरोज, बटोही सबके मन अगराइल बा। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

उपला प आग: हरेश्वर राय

चित्र
हमरा मनवाँ के मांगल मुराद मिलल बा दिल के गमला में हमरा गुलाब खिलल बा। हमरा धड़कन के जेतना सवाल रहन सन ओह सवालन के सुन्दर जबाब मिलल बा। हमरा नयनन के दरपन में चाँद आ बसल हमरा होंठन के सरगम शराब मिलल बा। मन के बंजर बधार में बहार आ गइल भरल फगुआ से सोगहग किताब मिलल बा। जेठ जिनिगी में सावन के फूल खिल गइल बुझल चूल्हा के उपला प आग मिलल बा। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

बुढ़उती के दरद: हरेश्वर राय

मार उमिर के अब त सहात नइखे साँच कहीं बुढ़उती ढोआत नइखे। ओढ़े आ पेन्हे के सवख ना बाँचल फटफटी के किकवा मरात नइखे। बाँचल नरेटी में इच्को ना दम बा गरजल त छोड़ दीं रोवात नइखे। भूख प्यास उन्घी कपूरी भइल सब हमसे तिकछ दवाई घोंटात नइखे। लोगवन के नजरी में भइनी बेसुरा गीत गज़ल सचमुच गवात नइखे।

उड़ल सार सब: हरेश्वर राय

सियासी छेनी से कालिमा तरासल बिया चांदनी हमरा घर से निकासल बिया। भोर के आँख आदित डूबल बा धुंध में साँझ बेवा के मांग जस उदासल बिया। सुरसरी के बेदना बढ़ल बा कइ गुना नीर क्षीर खाति माछरि भुखासल बिया। कोंपलन पर जमल बा परत धुरि के बून-बून खाति परती खखासल बिया। खाली थोथा बचल बा उड़ल सार सब जिंदगी रेत जइसन पियासल बिया।

गुमसुम गोरइया: हरेश्वर राय

मनवां के छोभ खूब अथाह हो गइल सगी आपन सरउती कटाह हो गइल। गउआं से कबरि के सहर में झोंकइनी तs दरद के कठउती कराह हो गइल। बाटे रिस्ता खतम कुल्हि पुहुप गंध से हमार सरगम बपउती तबाह हो गइल। तनवा बा बंधुआ आ मनवा बा बंधुआ हमर असमय बुढ़उती गोटाह हो गइल। बिया थाकल दुपहरी ह गुमसुम गोरइया हाय! डर के सिलउटी निठाह हो गइल।

आरे रे रे बड़ी डैंज-रस बा करोना: हरेश्वर राय

कहsता लोग मुंहवा बनाके तिकोना आरे रे रे बड़ी डैंज-रस बा करोना। बन्द बाटे खिड़की आ घर के केवाड़ी सबके जिनिगिया में लागताटे नोना। जेने देखsतानी ओने मुंह में बा जाबी होशियार होशियार खांसो छींको ना। जान बाटे तबहीं जहान बा ए बबुआ ओढ़ि ओढ़ि कमरी घीउआ पियो ना। प्रेमवा के दुश्मन करोना निसतनिआ से रोज -रोज दू -दू हांथ सभे करो ना।

मोर जिउआ परल बा अफतरा में: हरेश्वर राय

अफतरा में जी, बड़s अफतरा में मोर जिउआ परल बा अफतरा में। आईं आईं पंडिजी गोड़ लागतानी बुचिया ले अइहे रे लोटवा में पानी देखीं भगिया हमार तनी पतरा में। ए दुनिया के पाधुर बा कइले करोना हमरी जवनिया में लागतs  बा नोना कुछु रोजहीं टूटता हमरा भितरा में। रहि रहि के आवत बा ठंढा पसीना जेबी में पइसल बा जेठ के महीना अब त बरवो रंगाता अलकतरा में। लागतs रहे कि दिनवा हमरो बहुरी आरे! हमहूं बजाइब चएन के बंसुरी राहि कटलस बिलाइ बीचे जतरा में।

ए बाबा काहे बता द: हरेश्वर राय

काहे बा फगुनवा उदास ए बाबा काहे बता द। कली मुसुकइली ना कूकली कोइलिया सुगना के ठोर से उड़ल ओठ ललिया काहे ना फूलल पलास ए बाबा काहे बता द। बछिया संवरको ना काहे पगुराली सोकना बरध के बा धइले अलाली भुअरी के फूटल बा भनास ए बाबा काहे बता द। खेत खरिहनियन में भूतवन के डेरा काहे सिवनवा प उठता बंड़ेरा काहे सूखल बा बनास ए बाबा काहे बता द। हमरा अंगनवा के तुलसी झुरइली छान्ही प चढ़ल बिया करुई करइली काहे बढ़ल बा तींतास ए बाबा काहे बता द। हथवा में कमवा ना आंखी में सपनवा काहे बढ़ल बड़ुए अतना दमनवा काहे रुसल बा उजास ए बाबा काहे बता द।

चलs अंखियां चार करीं जा: हरेश्वर राय

चित्र
चलs अंखियां चार करीं जा चलs इचिका प्यार करीं जा। भंवरा हम, तू बनs सुमन बाग चलs गुलज़ार करीं जा। नौका तू, पतवार बनीं हम मिलके दरिया पार करीं जा। हम चंदा, तू चंद्रप्रभा बन अंधियारा पर वार करीं जा। हम दीया, तू बाती बनके उजियारे उजियार करीं जा। हरेश्वर राय  प्रोफेसर ऑफ़ इंग्लिश  शासकीय पी. जी. महाविद्यालय सतना  सतना मध्य प्रदेश 

ओ माई गॉड: हरेश्वर राय

कइसन आ गइल जबनवा, ओ माई गॉड थर- थर कांपेला बदनवा, ओ माई गॉड। भारत चीन बनल बा भाई गउंआ के चौपाल केहुओ आपन दाल गलावे केहू बजावे गाल खतम बा बाएनs पेहनवा, ओ माई गॉड। कुल्ही शिखंडी घूमत बाड़े बनके बड़का भूप लोटवा आ बल्टी के छोड़ीं भंग घोराइल कूप लुक्कड़ बहे अगहनवा, ओ माई गॉड। बिलरा के जिम्मे दिहल बा दही के रखवारी दिने दहाड़े मारल जाले मनराखन बनवारी तुरला खातिर बैंगनवा, ओ माई गॉड।

बिना सुर बिना ताल जिंदगानी भइल: हरेश्वर राय

बिना निमक के दाल जिंदगानी भइल बे खड़ग बिना ढाल जिंदगानी भइल। सझुरावल जाता हेने त होने अझुराता बड़ मकड़ा के जाल जिंदगानी भइल। फूल खिले के मौसम खतम हो गइल बिना हाल के बेहाल जिंदगानी भइल। खेल अइसन अवारा हवा कर गइल बिना चोप के पंडाल जिंदगानी भइल। फाटि गइली बंसुरी आ फूटले मंजीरा बिना सुर बिना ताल जिंदगानी भइल।