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कइगो नाव डूबवले बानी: हरेश्वर राय

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लइके से मइया दइया के पानी बहुत पिअवले बानी जबसे होस सम्हरले बानी कइगो नाव डूबवले बानी। भीतरा से सयतान हईं हम ऊपरा से बम बम भोला सुधा बाछी बनिके मितवा लुगा बहुत चबवले बानी। मानुस के खून मुंहे लागल हम भेंड़िया के नसल हईं अपना देहिंया के ऊपर मनई के खाल मढ़वले बानी। रोहू फरहा अउर बरारी कहंवा बांचि के जइहन सन सिधरी भी एकोना बंचिहें ऐसन जाल बनवले बानी। जाति- पांति पाटी- पउवा के सुरुए से सवखिन हईं  जबहीं मौका मिलल बा नीके से आग लगवले बानी। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

मन ठूंठ प आस के पात आइल: हरेश्वर राय

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 मन ठूंठ प आस के पात आइल। जेठ मास के तपन ओराइल बा सावन ले आइल पुरवाई अब अगस्त के फूल खिलल हमरा गोड़न से गइल बेवाई नवनीत से नेहाइल रात आइल। ओठ फाग के गीत भइले स अंखियां भइली सन अमराई अब जाके इ समझ में आइल कि मितवा का ह आखर ढाई गुलाबन से भरल परात आइल। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

हम ना आइब रे: हरेश्वर राय

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 हम ना आइब  सुनु रे भगता ! हम ना आइब रे तोर देस भइल कल्युगी भगता हम ना आइब रे। नाहीं गोप गोबरधन कतहूं ना  गोपी ना जमुना खाली पोले- पोले लुगी भगता हम ना आइब रे। नइखन लउकत वृंदावन में  एकहूं गइया बाछा लउके रोवत सुगा सुगी भगता हम ना आइब रे। मोरपंख माखन मिश्री ना नाहिं कदम के डाल चारु देनिए झुग्गी- झुगी भगता हम ना आइब रे। सत्य प्रेम के रोज जरावत  बड़ुए लोगवा होली बाजे झूठवा के डुगडुगी भगता हम ना आइब रे। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

मार बढ़नी रे: हरेश्वर राय

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 मार बढ़नी रे! कइसन देसवा के चरितर बा दू कौरा भीतर ओकरा बाद देवता पितर बा। अपना अपना जतिया पर सभ के घमंड बा बहे संड़की प खून उड़त मंच से कबूतर बा। भेदवा लबेदवा के मान खूबिए बढ़ल बड़ुए सइयक गो सवाल बड़ुए एकहूं ना उत्तर बा। लइका आ लइकी में फरक करत बाबू माई दुलहनिया अठारह के आ दुलहा बहत्तर बा। दाम ज्ञान के गगरिया के फूटल छदाम बाटे मान कदर ओकर बा जे फूटल कनस्तर बा। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

गाईं कइसे अंटकल गीत: हरेश्वर राय

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 गाईं कइसे अंटकल गीत। सून दुअरवा, अंगना सून मन में आके पसरल जून हाथ से हमरा सरकल जीत। बचवा बाम्बे, दिल्ली बचिया मोरा संग चितकबरी बछिया चलनी छान्हि दरकल भीत। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

मोर बालम बिमान से नेपाल घूमता: हरेश्वर राय

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लोग देसवा के लेइके सवाल घूमता मोर बालम बिमान से नेपाल घूमता। जेकरा टिकठ एमेले के चाहीं असों उ कइ - कइ गो लेके दलाल घूमता। जेकर रेकड़ पुरान जान मारे के बा उ अंजुरिया में लेइके गुलाल घूमता। जवन चोर-बटमरवन के सरदार बा अपना संगे उ लेके कोतवाल घूमता। जेकरा काठी जरावे के नइखे सहूर उहो हाथ में उठवले मसाल घूमता। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

सब अखबारी बा: हरेश्वर राय

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जनता धुधुकारी राजा अधकपारी बा सब हवा-हवाई बा सब अखबारी बा। रामराज के सपना घूमता लुआठाईल सहीदन के कर्जा अभी ले उधारी बा। देस के खजाना लेके उड़ल गोसईंया बैठल बिदेसवा में  काटत फरारी बा। भठिहारा के नांव बाटे बाल ब्रह्मचारी रुप में कलक्टर के घूमत पटवारी बा। बिकास के डुगी बहुते पीटाता बाकिर बिछौना हमार त अभी ले पेटाढ़ी बा। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.