संदेश

फ़रवरी, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

मोर दिलवा बसेला दिलजानी में: हरेश्वर राय

चित्र
मोर दिलवा बसेला दिलजानी में। बनिके कोइलिया कबो गीत गावस बनिके हरिनिया ऊ उधम मचावस बनिके पुरवा घुसेली पलानी में। फूलवा के रुप धइ कबो इतराली सरग के चानवा कबहूं बन जाली कबो बहेली नदिया के पानी में। फागुन में आवेली बनिके बहरवा कलीन के बांटेली रंग चटखरवा कबो मुसुकी मारेली गुरुबानी में। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

कक्काजी: हरेश्वर राय

चित्र
कतना करीं बड़ाई कक्का रउआ बड़ी महान हईं। अइसन चाल चलीला जेकर, खोजे ना मिले काट चानी- सोना से बकसा फाटे, पहिन चलीला टाट पागल गज के ऊपर बैठल कक्का रउरा पिलवान हईं। फूलवा में बैठल नाग रवा, आस्तीन के सांप रवा रउरा अपने में आप हईं, आ माहील के बाप रवा आग लगावेवाली रउरा माचिस के दोकान हईं। दउरि दउरि के पीअले बानी, पनिया घाटे-  घाट खटिये बैठल रावा लगाईं, गजब- गजब के साट छक्का पर छक्का मारीला कक्का रउरा कप्तान हईं। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

एगो उगल बा चान: हरेश्वर राय

चित्र
एगो उगल बा चान पिछुआरी में। आम मोजराइल आ महुआ कोचाइल कोइली के बोली में मिसिरी घोराइल आके पसरल बसंत फुलवारी में। पियरी पहिनलस बधरिया गुजरिया चह - चह भइली सांवरो बंसवरिया चोन्हाए लगली पुरवा बधारी में। चाक जस नाचता मोर फुलवरिया दुअरा प बरसता रंगवा अबिरिया झारsतारी असीस भउजो गारी में। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

फुटानी में: हरेश्वर राय

चित्र
फुटानी में जी फुटानी में गइली हमरी जवानी, फुटानी में। मति उपरजनी ना हरि नाम जपनी माई मेहरिया के नाक कान बेंचनी हेललि- हेललि भंइसिया पानी में। देसवा समजवा के सेवा ना कइनी खेते -खरिहानी में कबहूं ना गइनी लगवनी खाली माजमा दलानी में। बाबूजी कुफुती चिलारी प गइलन खूंटी पर नाधा आ जोती टंगइलन हांथ मलत बानी बैठल चुहानी में। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

किरिन बबीहरेश्वर राय

चित्र
खुला बा जंगला किरिन बबी आवs। लेवा पुरान बा ठंढा बिहान बा कमरा के देहीं में ईचको ना जान बा मनवा बेराम बा माथ सहलावs। कंडा ओराइल बोरसी सेराइल मति हेराइल बा मन बा डेराइल आंखी समा जा पपनी उठावs। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

दहेज: हरेश्वर राय

चित्र
बेटा के बापवा बनल बा कसाई। बबुनी के बाबू के होखता चुसाई।। दहेज में मंगातरुए उड़नखटोला। हीरवा मंगातरुए दस बीस तोला।। बेटा गंजेड़ी खतिरा चाहीं जहाज। गूंग बहीर भइल बा सरबे समाज।। ई सब देख सुन फाटे मोर कपार। मन करे घोंपि लीं सीना में कटार।। सवाचल जरुरी बाटे एकर दवाई। ना त मरजवा ई खोरि खोरि खाई।। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

सरस्वती वंदना: हरेश्वर राय

चित्र
कर जोरि बिनती करीला सुरसती मोरी मईया जी हे वीणापाणि! होखीं ना सहईया मोरी मईया जी। अज्ञान के अन्हरवा अंबिका लिखत बा बरबदिया  सुर-ताल मतिया के माई हो होखत बा दुरगतिया डूबत बिया नदिया बीचवा नईया मोरी मईया जी। हम मुरुख अज्ञानी बानी ज्ञान के ज्योति जला दीं हमरी जेठ जिनिगिया मईया सुंदर फूल खिला दीं हे माहमाया! परत बानी पईंयां मोरी मईया जी।   आरे आंखि अछइत ए अम्बे! भईल बानी आन्हर भरल बा जिनिगिया में मईया खाली डील- डाबर दीं ना कुल्हि मरजवन के दवईया मोरी मईया जी। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

गजल बन गइल: हरेश्वर राय

चित्र
दरदन के सब समेटनी त गजल बन गइल। पियास में ओस चटनी त गजल बन गइल।। रुखवन के संग पंछिन के इयारी पुरान। साख आरी से छंटनी त गजल बन गइल।। मस्त  दुनिया में अपना रही सन मछरी। हम महाजाल डलनी त गजल बन गइल।। ढीली दिहले रहीं हम प्यार के पतंग के। ओके जसहीं लपेटनी त गजल बन गइल।। केकरो संगवा नदी के बीच पंवरत रहीं। हांथ से उनुका छूटनी त गजल बन गइल।। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

बड़ा नीक लागेला: हरेश्वर राय

चित्र
पटना के पानी, बनारस के पान बड़ा नीक लागेला। हमरा गउआं के संझिया बिहान बड़ा नीक लागेला। नाम राम राम आ मथुरा के धाम बड़ा नीक लागेला। लैकाईं में बेदाम, दरदिया में बाम बड़ा नीक लागेला। अंचरा के धाह आ नीमी के छांह बड़ा नीक लागेला। जाड़ा में चाह, बुढ़ौती के बिआह बड़ा नीक लागेला। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

पतझड़ पस्त भइल: हरेश्वर राय

चित्र
  मनवा मस्त भइल। पंछिन के जसहीं पांख खुलल अंबर के लाल कपोल भइल का जाने के आके छुअलस पीपरा के पतवा डोल गइल  सुकउआ अस्त भइल। कली कली सब गोपी भइली भंवरा भइल कन्हाई चोन्हा चोन्हाके चले लगली रसगागर ले पुरवाई पतझड़ पस्त भइल। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

ओठे पंखुरी साटि गईल: हरेश्वर राय

चित्र
कि अब बदरी फाटि गईल। अइले दुअरा बलम बसंत पसरल आसा खुसी अनंत पीयर चुंदरी बांटि गईल। झमक झमक आइल पुरवाई अंकवारी ले आखर ढाई ओठे पंखुरी साटि गईल। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.