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ठन ठन गोपाल

ठन ठन गोपाल मीते, ठन ठन गोपाल। चाल ढाल ठीक तबो, बाउर बाटे हाल।। हाल अतना बाउर, बा बकरवा के हाल। खींचता कसईया कवनो देहीं से खाल।। तनीसा पपनी जइसहीं हमार झपकल। लेके उड़ल गोसईंया बगलिया से माल।। फंसला से बांचे के नइखे जुगुतिया जी। फेंकि देले बहेलिया बा दाना आ जाल।। कब अइली जवानी बुझाइल ना हमरा। मीत गोटी हमार कबहूं भइल ना लाल।।

मरल परल अंबर में चान

आदित उगिहें कि ना उगिहें, बाटे एकर कवन ठेकान। रात सियाही भइल बिया, मरल परल अंबर में चान।। खूनी लिपिस्टिक में संडक, अपने ऊपर इतरात बिया। राजनीति डाएन चुन-चुन के, निर्दोसन के खात बिया।। फूल का खिलिहें फुलवारी में, नइखन एको पुछवैया। चारु देनिए जब डर पसरल बा, कइसे बहिहें पुरवैया।। बीच भंवर में बिया नइया, जिया फंसल बा सांसत में। जवनो बांचल पतवार रहे, ऊ बड़ुए परल हिरासत में।। सुनs हरेसर सुख के सपना, का देखतारs अनेरिए में आस अंजोरिया के छोड़s तूं, काटs दिन अन्हरिए में।।

जहर घोराइल बा।

हर सहर के हावा में, अब जहर घोराइल बा। हर दर्द के दावा के, अब असर ओराइल बा।। मासूम के चेहरा पर, बा घाव भइल बड़हन। फेर भीड़ के हाथन से, निरदोस हताइल बा।। हर आस के पतई पर, ओलन के मार परल। हर दिल के डेहरिन में, अरमान तंवाइल बा।। आचरन के समएना में, बा छेदे- छेद भइल। साधुन के आवरन में, फेरु चोर धराइल बा।। बा हाल बुरा नगरन के, चउपट बड़ुए रजवा। कोइला हीरवा दूनहूं, एके मोल बेंचाइल बा।।

बसंत के उठान लागेलू।।

तोके सुंदर बनौले भगवान हो,  पूनम के तूं चान लागेलू। रंग देहिंया के सोना समान हो,  तूं सुंदर बिहान लागेलू।। तोहरा के देखी भंवर बउराला खिलल फूल समझि मेंड़राला। शकुंतला के झूठ बा बखान हो बसंत के उठान लागेलू।। गरवा तहार बा सुराही के भांती खीरा के बिया नियर दांत पांती। मीठ बोलिया लवाही समान हो खुदा के बरदान लागेलू।। तहरा से बाटे एकहीं हथजोरिया तनीसा फेरि द एनिओ नजरिया। पूर मूरख के कइ द अरमान हो तूं देवीजी महान लागेलू।।

लोगे हंसी ठठाय

लिट्टी चोखा खाइ के ठंढा पानी पीहीं। संतोषं परम सुखम के संगे रवा जीहीं।। रसगुल्ला के चाह बड़ी बाउर होखेला। बिन अरथ करत फिरी मत हींहींहींहीं।। राउर फाटल देख के लोगे हंसी ठठाय। अपने सुई धागा से आपन गुदरी सीहीं।। याद करीं ऊपरवाला कतना दिहले बा। ओही में से थोर बहुत दोसरा के दीहीं।। जनम भइल बा त मरन त होइबे करी। एह सांच के गांठी में रवा गंठिया लीहीं।।

मरल खुसी- उलास।

जीत मरल, गीत मरल, मरल खुसी- उलास। अब का फूलिहें गुलमोहर, परिजात, पलास।। हरेक फेंड़ पर बैठल बाटे, गिधवा के परिवार। पोंछ उठवले रउंदत बाटे पगला संढ़वा घास।। नदी किनारे बैठल बा बगुला भगतन के पांत। सुनीं संगी! सिधरी कूल के बाटे पास बिनास।। चउक, चाह दुकान प होता बोकड़न के भीड़। होखेला मुंडा गरम सुनिके ओहिजा बकवास।। दिनहीं दिने होखल जाता जीवन अब जंजाल। भूख दुख त बढ़ले जाता बढ़त बिया पियास।।

जरे दिल अरमान।

जरत खेत, खरिहान जरे, जरे दिल अरमान। जोर लगा के बोलीं रउरा, भारत देस महान।। हम बबुनी के कब कहीं, दूधे नहा पूते फलs। नाहिं चयन बा सांझि के, नाहिं चयन बिहान।। पेट चलावे खातिर बुचना, रहत बड़ुए दिल्ली। गरहन से रोजे जूझेला, ओकरा पूनम के चान।। मुआ करोनवा काल में, का करीं का ना करीं। नाहिं खुलल इस्कूल बा, नाहिं खुलल दोकान।। जरत हिताई, जरत मिताई, जरे प्रेम परिहास। हमनी मूरखन प कृपा करीं, सुनीं दया निधान।।

पिरितिया करेले गजबे कमाल।

पिरितिया करेले गजबे कमाल सनेहिया करेले गजबे कमाल। नैनन में बसेली कवनो सुरतिया मती के गती के होला दुर्गतिया होला बउड़म भंवरवा के हाल पिरितिया करेले गजबे कमाल। निंदिया ना आवे ना परे चएनवा दिलवा में दरद उठेला बएमनवा चलेली सन आंख मिरिगा चाल पिरितिया करेले गजबे कमाल। अंबरो से ऊंचा रहेला अरमनवा बरहो महीना बसंत के समनवा पुरवाई निगोड़िया करेले बेहाल पिरितिया करेले गजबे कमाल।

नरको में अब ठेलम ठेल।

सरग मरग के छोड़ीं बात नरको में अब ठेलम ठेल। बाटे बांस ना बाजे बंसुरी ना बांचल दीयवा में तेल। आगे नाथ ना पाछे पगहा तबो संवरुआ खेले खेल। बुढ़उ के बा पानी उतरत रोजहीं बचवा धरे नकेल। कतनो खर्चा पानी कइनी तब्बो पप्पू भइलन फेल।

ए सुखारी चाचा।

कटहर लेखा मुंह काहे लटकल ए सुखारी चाचा। लागता कि हार तोहरा खटकल ए सुखारी चाचा।। ताल के टोपरा बेंच बांच के लड़ल ह तूं बिधयकी। हरलह त पोंछिया तहार सटकल ए सुखारी चाचा।। भोरहीं भोरहीं तूं त दारु से करत रहलs ह कूल्ला। फुटानी के बरखा त अब चटकल ए सुखारी चाचा।। बहुत दिनन से डूबि डूबि के पीयत रहल ह पानी। लगता कि अबकी टेंगर अंटकल ए सुखारी चाचा।। राजनीति के छोड़s चस्का जा अब कीनs कटोरा। साधू चा के पिछवा चलs लटकल ए सुखारी चाचा।।

फेर एहू साल बाड़े जाड़ दद्दू आइल

फेर एहू साल बाड़े जाड़ दद्दू आइल बा कूहा के चद्दर में गांव लपेटाइल। दुअरा के कउड़ प लागता मजलिस महंगुआ के मेटा से सूटर खिंचाइल। सतुआ पीसात बाटे लिट्टी बनावे ला  दादी खाति माटी के बोरसी पराइल। अंगनाई लिपात बा दुअरवा लिपाता गैंड़ा के खेतवा में कोबिया फुलाइल। पछेया के हवा चुभेला तीर जइसन हड़वा में हमरा बा जड़वा समाइल।

सुत रे ससुर कपूत।

बहरा में चल रहल बा गोली, सुत रे ससुर कपूत। घुड़मुड़िया के मोटरी बन जो , परले  परले मूत।। धूर उड़ा के धइले बाड़े नेता संग चमच कलछुल। बाकी हम भूलाइल नइखीं एहनी सब के करतूत।। केहुओ जाता चांद के ऊपर केहुओ मंगल ऊपर। अबहूं बबुआ राम  भरोसे बांटत फिरस  भभूत।।

हमार सुगउ हो हमार सुगउ हो हमार सुगवा

हमार सुगउ हो हमार सुगउ हो हमार सुगवा चलि गइलs कवना देसवा हो हमार सुगवा। सवख आ सिंगार अब हम केकरा पर करम मीतवा केकरा पिरितिया में रात- दिन जरम केकरा ऊपर करब अब हम गरब  गुमनवा। रहलs अलम तूहीं एह हमरी जिनिगिया के रहलs सियाही तूं एह जिनिगी कलमिया के नाइ जिनिगी के हमरी तूं रहs खेवनिहरवा। का हड़बड़ी रहे अबहीं कुछ दिन त जीहीतs जिनिगी के गुदरी अभी कुछ दिन त सीहीतs छोड़ी के काहे भगलs तू माया के मुलुकवा। सभके एक दिन बोलउवा त अइबे करी जी जे भी आइल बा एहिजा ऊ जइबे करी जी बड़ुए अइसने बनावल बिधना के बिधनवा।

खोजत बानी: भाग २

 अपना बचपन के गांव रे भईया खोजत बानी। अपना पुरखन के नांव रे भईया खोजत बानी।। दोनी  ढेंकी  जांता  कुंड़ी  कोल्हू  भाथी मोट मथनी  ढबरी  लोढ़ा पीढ़ा  डोंड़ा कांड़ी सोट सेर  पसेरिया पाव रे  भईया  खोजत  बानी। चूल्हा चौकी दउरा मउनी झांपी अउर झंपोली कूंड़ा भांड़ी कोठिला डेहरी बोरसी गाड़ा डोली रसिया के ऊपर बढ़ांव रे भईया खोजत बानी। घेंवड़ा  लिबरी  चोंथा लाटा  अंगारी के लिट्टी उमी होरहा तिलई तिलवा पीठा आ दलपिट्ठी ऊख के पहीला ताव रे भईया खोजत बानी। गेंथा  गेंथरी गांती  बिहिटी झूला  तही  लंगोट सूजनी असनी लेदरा गणतर चाभी वाला खूंट गोरेया बाबा  के ठांव  रे भईया खोजत बानी।

खोजत बानी: भाग १

 अपना बचपन के गांव रे भईया खोजत बानी। अपना पुरखन के नांव रे भईया खोजत बानी।। सांझ सुहानी रएन सलोनी कऊड़ा वाली भोर फुदगुद्दी  के धूर  नहाई चकवा  चकई  चकोर करिया कगवा के कांव रे भईया खोजत बानी। लोरी  कजरी बिरहा झूमर सोहर आ जंतसार रोपा  कटनी गीतन  के संग झूमत खेत बधार पीपरा के सीतल छांव रे भईया खोजत बानी। गुली डंटा  दोल्हा  पाती चिक्का ती ती ती ती गोली वाली नन्हकी गुब्भी तिरका लाता लुत्ती दुअरा पर  लट्टू दांव रे भईया  खोजत बानी। अरवन झगरा नाधा  जोती घारा मारल लऊर सेंगरी सेंगरा  बहंगी मुंगरा चंउर  ठेंगरी मऊर जलकोबिया  के नाव रे  भईया खोजत बानी।

जिनिगिया अजबे खेल खेलावे।

जिनिगिया अजबे खेल खेलावे। जिनिगिया अजबे खेल खेलावे। कबहूं बेटा कबहूं  परनाती कबहूं बाप बनावे कबहूं छप्पन भोग खिआवे कबहूं  नून चटावे कबो मुआवे कबो जिआवे कबो कबो तड़पावे जिनिगिया अजबे खेल खेलावे। कबो चढ़ावे सिकहर  ऊपर कबो उतारे पानी कबहूं देवे महल अंटरिया  कबहूं चूवत छानी कबो उठावे कबो  गिरावे कबो कबो ठठरावे जिनिगिया अजबे खेल खेलावे। आपन कबो पराया होले कबो  पराया आपन कबो गले में फूल के माला कबो गले में नागन कबो हंसावे कबो रोआवे कबो कबो छछनावे जिनिगिया अजबे खेल खेलावे।