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जनवरी, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

मनवे में रहि गइल मन के अरमनवा: हरेश्वर राय

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मनवे में रहि गइल मन के अरमनवा ज़िनिगी में आगी लगवनी सजनवा। कांछत कीच हमरी बितली जवनिया अंखियो से देखनी ना रेल रजधनिया चाभे के मिलल ना एको बीड़ा पनवा। कुल्लुए घुमवनी ना मनलिए घुमवनी गोवा के बीचवो ना आजुले देखवनी हम प मारेला ठाठा देवरा दुसमनवा। हमरी जिनिगी कबे फागुन ना अइले ओठवा पर हंसी के फूल ना फुलइले हड़वा में जड़वा बनवलस मकनवा। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

अकरात मकरात सकरात बड़ी भारी: हरेश्वर राय

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अकरात मकरात सकरात बड़ी भारी। मरलन जा चूरा कुल्हि सुखारी दहारी।। खूंटा उखड़ गइलन फूट गइलन नाद। अब चरने प बइठताड़ें घर के दामाद।। दूह दही भईल बाटे गऊओं में सपना। आंख भइलि गड़हा मुंह भइल ढपना।। अब कोरोनवे कटाता कोरोनवे दंवाता। कोरोनवे के रोटी अब सब केहू खाता।। कमाए केहू अउर आ खाए केहू अउर। भईंस होली ओकरे जेकरा पासे लउर।। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

फूल बनके रह गइल: हरेश्वर राय

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चुप्पे से आइल पुरवइया, कनवा मे कुछ कह गइल। परबत बरोबर रहल पतझड़, भरभरा ऊ ढह गइल।। जतना ऊंच खाला रहल ह, हो गईल साफे बरोबर। ओठ जवन ह रहल झुराईल, फूल बनके रह गइल।। फुलवरिया के फेंड से कोइलर, लागल तान अलापे। हरियरिया जलधार बनल, आ खेते बधारे बह गईल।। तितली रानी तितलीन संगे निकलल सैर सपाटा प। फूलन के दोकान मे जाके कीनलस आ बेसह गइल।। मकरंदा पगला आवारा फट फुलवारी में ढुक गइल। जवने मिलली कली राह में अंकवरिया में गह गइल।। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

हम बोकरा के बार हईं

हम्हीं सिअरु के सार हईं हमहीं कुकुर बिलार हईं हम्हीं गदहा हम्हीं ऊल्लू हम बोकरा के बार हईं। हम्हीं खुजली हम्हीं दाद हम्हीं हरामी के औलाद सतभतरी से हईं जामल  हम दोगला हतेआर हईं। हमहीं बेंग हईं कुइयां के हम्हीं भार हईं भुईयां के करे कटोरा जन्मे से बा हम पकवा भिखार हईं।

नया साल प

नया साल प दिया दीं, पिया जी चुनरी नया साल प। चुनरी दियाइ दीं, किनवाइ दीं पियरी नया साल प। पिछिलका बरीसवा रहल ह बड़ी भारी कारी कारी बदरिन के रहल सोर जारी अब जाके फटली, बलम जी बदरी नया साल प। मईहर आ मथुरा बिन्हाचल घुमवाई दीं बाबा बिस्वनाथ जी के दर्शन कराई दीं तब जाके पपवा, बलम जी उतरी। नया साल प।

मोरी मईया जी

कर जोरि बिनती करीला सुरसती मोरी मईया जी हे वीणापाणि! होखीं ना सहईया मोरी मईया जी। अज्ञान के अन्हरवा अंबिका लिखत बा बरबदिया सुर- ताल मतिया के माई हो होखत बा दुरगतिया डूबत बिया नदिया बीचवा नईया मोरी मईया जी। हम मुरुख अज्ञानी बानी ज्ञान के ज्योति जला दीं हमरी जेठ जिनिगिया मईया सुंदर फूल खिला दीं हे माहमाया!  परत बानी पईंयां मोरी मईया जी। आरे आंखि अछइत ए अम्बे! भईल बानी आन्हर भरल बा जिनिगिया में मईया खाली डील- डाबर दीं ना कुल्हि मरजवन के दवईया मोरी मईया जी।

रउरे नमवा नन्दकुमार गोबर्धनधारी ए हरी

रउरे नमवा नन्दकुमार गोबर्धनधारी ए हरी रउरे हईं किसन मुरारी रास बिहारी ए हरी।। राउर जनम भूमि हे केशव हउवे मथुराधाम स्याम रंग बदरी से लेके हो गइनी घनस्याम रउरे पार्थ सारथी मधुसूदन चक्रधारी ए हरी। कंसारी गोबिंदा छलिया मोहन मदन मनोहर मायापति माधव रउरा जी बनवारी मुरलीधर कंसन असुरन के नास करीं असुरारी ए हरी। यादवेन्द्र गिरधर गोपेश्वर योगिपति अघहारी देवकी नंदन रास रचईया रउरा कुंज बिहारी एक बेर भठयुग में पधारीं लीलाधारी ए हरी। 

रउरा बेटियन के खूबिए पढाईं भाईजी

रउरा बेटियन के खूबिए पढाईं भाईजी रउरा बेटियन के खूबिए खेलाईंं भाईजी। भेदभाव के भूत भगाईं, प्रेम के जोत जलाईं नेह छोह के डालीं खाद, सुंदर फूल खिलाईं रउरा बेटियन पर खूबिए इतराईं भाईजी। दरवाजा घर के खोलीं, खुला समर में लड़े दीं ऊंचा से ऊंचा परबत प, छोड़ीं ओहके चढ़े दीं रउरा बेटियन के बेनिया डोलाईं भाईजी। तनिका सा ढीली छोड़ब त, ध ली ई आकास चान-सुरुज नियन फैलाई, दुनिया में परकास रउरा बेटियन के खूबिए बढ़ाईं भाईजी। एगो हंथवा में पेन धरा दीं, दोसर में तलवार नाया नाया गीत लिखे दीं, आ भरे दीं हूंकार रउरा बेटियन के निरभय बनाईं भाईजी।