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मई, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

महमूली बात ना ह

 तिरछोल के मनावल महमूली बात ना ह। नीक सउदा  पटावल महमूली बात ना ह।। बएल त किसिम - किसिम होखे लन स। परुअवा के उठावल महमूली बात ना ह।। अखड़ा में पटकनी देल अलग बात होला। उखमंजल छोड़ावल महमूली बात ना ह।। रसगुल्ला त केहूओ बना दी गोल- चापट। जिलेबिया के बनावल महमूली बात ना ह।। घोड़वा के लगाम ध के त केहू दउरा दीही। भैंस प बैठके मकावल महमूली बात ना ह।।

बाजी डमरु डम डम डम

 चंदा मामा तूं आरा आवs, हम पीरो से आवत बानी। आव मिलन होई रमना में, ससुरु तोहे बतावत बानी।। ओक्का बोक्का तीन तड़ोका, ले आव रे लउर लाठी। सार ससुर मिल के मारीं जा, रमावती के खंसी पाठी।। ना खेलब ना खेले देहम, खलिसा खेल बिगाड़ब हम। जाती से जाती लड़वाइब, बाजी डमरु डम डम डम।। तड़वा काटs तरकुलवा काटs फेर काटs बन खाजा। चंदन शीसो सरइ काटs, फेर बन जा बिधाएक राजा।। बाग में बगडोलना डोले सावन के मास करइला फूले। बढ़ियां लोगवा काटे जेल, चोर उचक्का बिचरत खूले।।

एगो लउकल हा चान दुपहरिया में

 बूटा गोटा वाली ललकी चुनरिया में एगो लउकल हा चान दुपहरिया में। आस्ते आस्ते गते गते हौले हौले ऊ जाइ ढूकल बगल के फुलवरिया में। दिल संता हमार भ गइल ह बेकरार माला फेरे लगनी लेके अंगुरिया में। मन बाकी हमार बेलगाम भइल हा भरि लेलस ह जाके अंकवरिया में। जाके नैना फंसल ह अलकजाल में सोर मचल ह गउआं - सहरिया में।

छुअन याद बा

 पहिल फागुन के हमरा छुअन याद बा फूल - भंवरा के हमरा मिलन याद बा। केहु कनेआ कहल केहु भउजी कहल कुल्ह बालम के घर के चलन याद बा। हमके कोयल के बोली ना बिसरी कबो हमरा सरदी के भोर के गलन याद बा। कहियो चूल्हवा में अंगुरी सेंकाइल रहे आजु ले हमरा ओकर जलन याद बा। याद बा हमके ननदो के नखड़ा कइल हमके गोदी में आइल ललन याद बा।

फागुन चढ़ल बाटे बुढ़वा के कपार प

 फागुन चढ़ल बाटे बुढ़वा के कपार प टूटत बा अंचार प ना। गांजा मले चिलम बोझे सफिया फेर पेन्हावेला दम लगाके गूलराम के बमबम बम बमकावेला फेरु जाके भोंके ऊखवा में सियार प टूटत बा अंचार प ना। फगुआ चैता घोर घार के जोर जोर चिचियाला हनुहारो आ रामा कहिके जगे जगे  ढिमिलाला कबहूं गावे लागे गोरिया के सिंगार प टूटत बा अंचार प ना।

मुखिअई लड़ीं

 नोकरी सोकरी कइलीं नाहीं कइलीं ना कमाई, मुखिअई लड़ीं पियवा तबे छूटी जिनिगी के काई, मुखिअई लड़ीं। नइहर के साया साड़िन से अब तक दिन कटाईल जी कतना फागुन अइले गइले गलिया ना चिकनाईल जी पिया भाग रउरो अबकी अजमाईं, मुखिअई लड़ीं। मुखिआ देवरा के मउगी रोजहीं बदले ओठलाली जी पांच बरीस से रोज मनत बा ओकरा घरे दीवाली जी बा मोहाल एने लकठो के मिठाई, मुखिअई लड़ीं। काठा कठुली बेंचि के राजा माल थोरे गठिया लीं जी दू -चार चोर लफंगन के रउरा बलमा पोटिया लीं जी लेइके घूमीं रावा बगली में सलाई, मुखिअई लड़ीं।

गोरी! खोलs केवारी

 बा आइल बसंता दुआरी प, ए गोरी! खोलs केवारी। उठल बा ताल ठकुरबारी प, ए गोरी! खोलs केवारी।। नखड़ा देखावsतिया पुरवा बेयरिया पिअरे पियर भइल दिल के बधरिया मनs लटू हमार फुलवारी प, ए गोरी! खोलs केवारी। उठल बा ताल ठकुरबारी प, ए गोरी! खोलs केवारी।। कलियन से भौंरा करत बा ठिठोली जिया के छेदतिया कोइलर के बोली तनि ढरिं ना एह ब्रम्हचारी प, ए गोरी! खोलs केवारी। उठल बा ताल ठकुरबारी प, ए गोरी! खोलs केवारी।।