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सखी: हरेश्वर राय

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  अबकी के सावन डेरवावन सखी मनs नइहर से उचटल बा। लगे हमरा बड़ी सिहिरावन सखी मनs ब्योहर में अंटकल बा।। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

त केहू के हंसी आवता: हरेश्वर राय

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  केहू के मकान गिरता, त केहू के हंसी आवता केहू के दोकान जरता, त केहू के हंसी आवता अदिमिन के अंदरा के अदिमियते मू गइल बा केहू के अरमान जरता, त केहू के हंसी आवता। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

मुखवटा के चलन बाटे: हरेश्वर राय

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  कवन बगली बा जे में कमी नइखे कवन  नयना बा जे में नमी नइखे मुंह प अब मुखवटा के चलन बाटे कवन अदमी बा जे फिल्मी नइखे। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

हमरी सुनि ल सखिया: हरेश्वर राय

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  सुनि ल सखिया हो  हमरी सुनि ल सखिया,  मोरे बलमा बहुत अनाड़ी सुनि ल सखिया। धोती पहिरे पगरी बान्हे खभड़ी मोछि रखावे  रसगुल्ला के नाँव सुने त  लार बहुत टपकावे भच्छे दही भर-भर हांड़ी  सुनि ले सखिया। मुँहेलुकाने मुँह धोवेला मोटकी दतुअन लेके हमरा ओरिया देखि देखि के  गजबे मुसकि फेंके  साँझ फजिरे बल्टी लेके  दूहे भुअरी पाड़ी सुनि ले सखिया। दिन भर खेते - खार रहेला  झलको ना देखलावे अँकवारी में भरि भरि लेला  जसहीं पलखत पावे  हाँके तेज बैलागाड़ी  सुनि ले सखिया। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

अदिमी: हरेश्वर राय

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  केहू बहरी से राजा अंदर से कलंदर होला अदमिओ के पैदाइश भी कबो बंदर होला किसिम अदिमी के ना मालूम कतना बाटे केहू सुथनी केहू बएगन केहू चुकंदर होला। हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

संस्मरण: जमुऑंव के संत निराला बाबा

जमुऑंव गाँव (थाना- पीरो, जिला- भोजपुर) के लोग बहुते धारमिक सोभाव के ह। जब से हम होस सम्हरले बानी तबे से देखतानी कि एह गाँव में पूजा-पाठ, हरकीरतन आ जग उग के आयोजन लगातार होत आ रहल बा। एह गाँव में साधुजी लोगन के बड़ा बढ़िऑं जमावड़ा भी होखत रहेला। मंदिर आ देवस्थानन से त गाँव भरल परल बा। कालीमाई, बड़की मठिया, छोटकी मठिया, संकरजी, जगसाला, सुरुज मंदिर, सतीदाई, बर्हम बाबा, उमेदी बाबा, गोरेया बाबा, पहाड़ी बाबा--। बात 1975 - 76 के आसपास के होई। बड़का पोखरा से पचीस-तीस डेग पूरब भ एगो भरीत प कइ लोगन के खरिहान रहली सन। कगरी-कगरी आम के फेंड रहन स। ओहिजे एह गाँव के नामी पहलवान बाबा सिसरन पाठक के नाँव से जुड़ल एगो पत्थल के बनल एगो गोल चकरी रहे। ओकरा के देखहिं से लागे जे पाँच अदिमी से कम त एकरा के नाहिएँ उठ पाई। ओह पथलवा के चकरिआ के बीच में एगो भुरुका बनल रहे। ओहमें धरे लायक एगो हैंडल बनल रहे। का जाने बा कि टूट-टाट गइल। साबूत बाँचल होखे त ओकर हिफाजत करे के चाहीं। कही लोग, जे सिसरन बाबा ओकरा के अकेले उठा लेत रहीं। ऊ कतना ताकतवर होइहें, अंदाज लगाईं। हमहुँ अकेला में एक बे कोसिस कइले रहीं कि उठा के देखीं,