तनहाई: हरेश्वर राय
ये जो तनहाई है, मेरी थाती है
इसीलिए वो मुझको भाती है।
जब भी यादों में खो जाता हूं
छुपके आती है गुदगुदाती है।
जब उदासी मुझे जकड़ लेती
झट से आके मुझे छुड़ाती है।
नींद जब भी मुझे नहीं आती
दे दे थपकी मुझे सुलाती है।
दर्द जब हद से गुजर जाता है
चुपके चुपके दवा पिलाती है।
इसीलिए वो मुझको भाती है।
जब भी यादों में खो जाता हूं
छुपके आती है गुदगुदाती है।
जब उदासी मुझे जकड़ लेती
झट से आके मुझे छुड़ाती है।
नींद जब भी मुझे नहीं आती
दे दे थपकी मुझे सुलाती है।
दर्द जब हद से गुजर जाता है
चुपके चुपके दवा पिलाती है।
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