आइ हो दादा: हरेश्वर राय

सपन एगो देखनी भोरहरिया, आइ हो दादा
मुखिया भइली मोर मेहरिया, आइ हो दादा।

मोरे दुअरा उमड़ रहल बा सउंसे गांव जवार
लाग रहल बा देबी जी के नउंवा के जयकार
बाजवा बाजतs बा दुअरिआ, आइ हो दादा।

धक्कमधुकी ठेलाठेली जुलूस निकलल भारी
आगे आगे नवकी मुखिया पीछवा से नर नारी
करत जयजय जयजयकरिया, आइ हो दादा।

चौकठ चौकठ घुमे लगली नेवा नेवा के सीस
बड़ बूढ़न से मांगत गइली अपना के आसीस
गोड़ पर धइ धइ के अंचरिया, आइ हो दादा।

उहांके पीए हो गइनी हम दून भइल मोर सान
आगा पाछा डोलत बानी सुबह से लेके साम
छोड़ि के खेतs आ बधरिया, आइ हो दादा।
हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

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