एनिए के भइनी ना ओनिए के रहनीं: हरेश्वर राय
अपने मुलुक में हम भइनी बिदेसिया जी
कहां जाके जिनिगी बिताईं ए संघतिया।
सांझ बिहान छूटल बाबा के दलान छूटल
हम दिल के दरद का बताईं ए संघतिया।
तीज तेवहार गइल जियल मोहाल भइल
अब मनवां में घुलता खंटाई ए संघतिया।
कहूं गारी खात बानी कतहूं पिटात बानी
कहां जाके हाड़ावा ठेठाईं ए संघतिया।
गांव घर मुंह फेरल नाहीं केहु परल हरल
बा रोकले रुकत ना रोवाई ए संघतिया।
एनिए के भइनी ना ओनिए के रहनीं जी
मोर मन करे फंसरी लगाईं ए संघतिया।
कहां जाके जिनिगी बिताईं ए संघतिया।
सांझ बिहान छूटल बाबा के दलान छूटल
हम दिल के दरद का बताईं ए संघतिया।
तीज तेवहार गइल जियल मोहाल भइल
अब मनवां में घुलता खंटाई ए संघतिया।
कहूं गारी खात बानी कतहूं पिटात बानी
कहां जाके हाड़ावा ठेठाईं ए संघतिया।
गांव घर मुंह फेरल नाहीं केहु परल हरल
बा रोकले रुकत ना रोवाई ए संघतिया।
एनिए के भइनी ना ओनिए के रहनीं जी
मोर मन करे फंसरी लगाईं ए संघतिया।
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