अंदर के बाघवा जगावे चलीं: हरेश्वर राय
थीर पानी में छिछिली कटावे चलीं
कोना कोना से जाला हटावे चलीं।
जदी अंगुरी अंगार से बचावे के बा
ठोस लोहा के सिउंठा बनावे चलीं।
मनवां उड़े के बाटे आकसवा में तs
चलीं बझवन से पंजा लड़ावे चलीं।
कारी रतिया के करे दुरगतिया बदे
चलीं अंजुरी में सुरुज उठावे चलीं।
अगर जीए के बड़ुए त लड़हीं पड़ी
चलीं अंदर के बाघवा जगावे चलीं।
कोना कोना से जाला हटावे चलीं।
जदी अंगुरी अंगार से बचावे के बा
ठोस लोहा के सिउंठा बनावे चलीं।
मनवां उड़े के बाटे आकसवा में तs
चलीं बझवन से पंजा लड़ावे चलीं।
कारी रतिया के करे दुरगतिया बदे
चलीं अंजुरी में सुरुज उठावे चलीं।
अगर जीए के बड़ुए त लड़हीं पड़ी
चलीं अंदर के बाघवा जगावे चलीं।
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