उलूक वंदना: हरेश्वर राय

सुन लीं अरजिया हमार,
उलुकदेव! सुन लीं अरजिया हमार I

जोड़िला हाँथवा गोड़वा परिला
भजिला दाँतावा चिहार।। उलुकदेव! ...।।

मोहक चोंच नयन अभिरामा
रउरा प लछमी सवार ।। उलुकदेव! ...।।

पहिल अरज बा रउआ भगत के
माल गिराईं छप्पर फार।। उलुकदेव! ...।।

दोसर अरज बा रउरा भगत के
मारीं देआदन के भिथार ।। उलुकदेव! ...।।

रउवे हमार बाबू रउवे हईं दादा
रउवे हईं सरsकार ।। उलुकदेव! ...।।
हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

टिप्पणियाँ

लोकप्रिय पोस्ट

मुखिया जी: उमेश कुमार राय

मोरी मईया जी

जा ए भकचोन्हर: डॉ. जयकान्त सिंह 'जय'

डॉ. बलभद्र: साहित्य के प्रवीन अध्येता - विष्णुदेव तिवारी

सरभंग सम्प्रदाय : सामान्य परिचय - डॉ. जयकान्त सिंह 'जय'