करबि ना नेतागिरी: हरेश्वर राय

सब कुछ करबि हम, करबि ना नेतागिरी
सुनीं ए गिरि बाबा, हेनें आईं हमरा भिरी।

झूठे-झूठ ओढ़ना आ झूठे-झूठ बिछवना
लोग गरियाइ कहि कहि मटिया लगवना
मोसे न होइ भांटगिरी, सुनीं ए गिरि बाबा।

देंह भलहीं ठेठाइब, तनी कमहीं कमाइब
बाकि चोरी बयमानी के पंजरा ना जाइब
चाहीं ना मोके अमीरी, सुनीं ए गिरि बाबा।

माल, मंच, माइक आ लाम - लाम कुरता
बाबा! एकरे चसक में बिकाइल रमसुरता
करता अब बाबागिरी, सुनीं ए गिरि बाबा।
हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

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