पागल जिया हो गइल: हरेश्वर राय

प्यार में रउरा पागल जिया हो गइल
मोर दिलवा जरत बींड़िया हो गइल।

हमके खाए नहाये के सुधि ना रहल
ई सरिरिया सूखल छड़िया हो गइल।

दढ़िया बढ़ल,  केसवा लटिया गइल
मोर निनिया उड़ल चिड़िया हो गइल।

मीत जसहीं मिलन के मिलल अंगेया
मन में लागल कि ई बढ़ियां हो गइल।

हमरा पंजरा कहे के बहुत कुछ रहल
पर मिलनी त जीभ बुढ़िया हो गइल।
हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

टिप्पणियाँ

लोकप्रिय पोस्ट

मुखिया जी: उमेश कुमार राय

मोरी मईया जी

जा ए भकचोन्हर: डॉ. जयकान्त सिंह 'जय'

डॉ. बलभद्र: साहित्य के प्रवीन अध्येता - विष्णुदेव तिवारी

सरभंग सम्प्रदाय : सामान्य परिचय - डॉ. जयकान्त सिंह 'जय'