जरुरी बा

पथराइल अंखियन में सपना सजावल जरुरी बा
दिल में बनल दरारन के दूरी मेटावल जरुरी बा।

परदा के पाछा से खेलता खेल कवनो दुसमनवा
ओ दुसमन के परदा में आग लगावल जरुरी बा।

दिने-दिन हेहर आ जटही के बढ़ल जाता जंगल
एह जंगल प दाब आ टांगी चलावल जरुरी बा।

सभ लोगन के पासे बा कवनो ना कवनो सवाल 
ए सभ सवालन के समेटि के उठावल जरुरी बा।

सूर जी बाल्मीकि जी दास तुलसी कबीर जी के
घर के बचन सभ के कविता पढ़ावल जरुरी बा।

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