खोजत बानी: भाग २

 अपना बचपन के गांव रे भईया खोजत बानी।
अपना पुरखन के नांव रे भईया खोजत बानी।।

दोनी  ढेंकी  जांता  कुंड़ी  कोल्हू  भाथी मोट
मथनी  ढबरी  लोढ़ा पीढ़ा  डोंड़ा कांड़ी सोट
सेर  पसेरिया पाव रे  भईया  खोजत  बानी।

चूल्हा चौकी दउरा मउनी झांपी अउर झंपोली
कूंड़ा भांड़ी कोठिला डेहरी बोरसी गाड़ा डोली
रसिया के ऊपर बढ़ांव रे भईया खोजत बानी।

घेंवड़ा  लिबरी  चोंथा लाटा  अंगारी के लिट्टी
उमी होरहा तिलई तिलवा पीठा आ दलपिट्ठी
ऊख के पहीला ताव रे भईया खोजत बानी।

गेंथा  गेंथरी गांती  बिहिटी झूला  तही  लंगोट
सूजनी असनी लेदरा गणतर चाभी वाला खूंट
गोरेया बाबा  के ठांव  रे भईया खोजत बानी।

टिप्पणियाँ

लोकप्रिय पोस्ट

मुखिया जी: उमेश कुमार राय

मोरी मईया जी

डॉ रंजन विकास के फेर ना भेंटाई ऊ पचरुखिया - विष्णुदेव तिवारी

डॉ. बलभद्र: साहित्य के प्रवीन अध्येता - विष्णुदेव तिवारी

जा ए भकचोन्हर: डॉ. जयकान्त सिंह 'जय'