बसंत के उठान लागेलू।।

तोके सुंदर बनौले भगवान हो, 
पूनम के तूं चान लागेलू।
रंग देहिंया के सोना समान हो, 
तूं सुंदर बिहान लागेलू।।

तोहरा के देखी भंवर बउराला
खिलल फूल समझि मेंड़राला।
शकुंतला के झूठ बा बखान हो
बसंत के उठान लागेलू।।

गरवा तहार बा सुराही के भांती
खीरा के बिया नियर दांत पांती।
मीठ बोलिया लवाही समान हो
खुदा के बरदान लागेलू।।

तहरा से बाटे एकहीं हथजोरिया
तनीसा फेरि द एनिओ नजरिया।
पूर मूरख के कइ द अरमान हो
तूं देवीजी महान लागेलू।।

टिप्पणियाँ

लोकप्रिय पोस्ट

मुखिया जी: उमेश कुमार राय

मोरी मईया जी

जा ए भकचोन्हर: डॉ. जयकान्त सिंह 'जय'

डॉ. बलभद्र: साहित्य के प्रवीन अध्येता - विष्णुदेव तिवारी

भोजपुरी कहानी का आधुनिक काल (1990 के बाद से शुरु ...): एक अंश की झाँकी - विष्णुदेव तिवारी