ठन ठन गोपाल

ठन ठन गोपाल मीते, ठन ठन गोपाल।
चाल ढाल ठीक तबो, बाउर बाटे हाल।।

हाल अतना बाउर, बा बकरवा के हाल।
खींचता कसईया कवनो देहीं से खाल।।

तनीसा पपनी जइसहीं हमार झपकल।
लेके उड़ल गोसईंया बगलिया से माल।।

फंसला से बांचे के नइखे जुगुतिया जी।
फेंकि देले बहेलिया बा दाना आ जाल।।

कब अइली जवानी बुझाइल ना हमरा।
मीत गोटी हमार कबहूं भइल ना लाल।।

टिप्पणियाँ

लोकप्रिय पोस्ट

मुखिया जी: उमेश कुमार राय

मोरी मईया जी

डॉ रंजन विकास के फेर ना भेंटाई ऊ पचरुखिया - विष्णुदेव तिवारी

डॉ. बलभद्र: साहित्य के प्रवीन अध्येता - विष्णुदेव तिवारी

सरभंग सम्प्रदाय : सामान्य परिचय - डॉ. जयकान्त सिंह 'जय'