रउरा बेटियन के खूबिए पढाईं भाईजी

रउरा बेटियन के खूबिए पढाईं भाईजी
रउरा बेटियन के खूबिए खेलाईंं भाईजी।

भेदभाव के भूत भगाईं, प्रेम के जोत जलाईं
नेह छोह के डालीं खाद, सुंदर फूल खिलाईं
रउरा बेटियन पर खूबिए इतराईं भाईजी।

दरवाजा घर के खोलीं, खुला समर में लड़े दीं
ऊंचा से ऊंचा परबत प, छोड़ीं ओहके चढ़े दीं
रउरा बेटियन के बेनिया डोलाईं भाईजी।

तनिका सा ढीली छोड़ब त, ध ली ई आकास
चान-सुरुज नियन फैलाई, दुनिया में परकास
रउरा बेटियन के खूबिए बढ़ाईं भाईजी।

एगो हंथवा में पेन धरा दीं, दोसर में तलवार
नाया नाया गीत लिखे दीं, आ भरे दीं हूंकार
रउरा बेटियन के निरभय बनाईं भाईजी।

टिप्पणियाँ

लोकप्रिय पोस्ट

मुखिया जी: उमेश कुमार राय

मोरी मईया जी

जा ए भकचोन्हर: डॉ. जयकान्त सिंह 'जय'

डॉ. बलभद्र: साहित्य के प्रवीन अध्येता - विष्णुदेव तिवारी

सरभंग सम्प्रदाय : सामान्य परिचय - डॉ. जयकान्त सिंह 'जय'