हम बोकरा के बार हईं

हम्हीं सिअरु के सार हईं
हमहीं कुकुर बिलार हईं
हम्हीं गदहा हम्हीं ऊल्लू
हम बोकरा के बार हईं।

हम्हीं खुजली हम्हीं दाद
हम्हीं हरामी के औलाद
सतभतरी से हईं जामल 
हम दोगला हतेआर हईं।

हमहीं बेंग हईं कुइयां के
हम्हीं भार हईं भुईयां के
करे कटोरा जन्मे से बा
हम पकवा भिखार हईं।

टिप्पणियाँ

लोकप्रिय पोस्ट

मुखिया जी: उमेश कुमार राय

मोरी मईया जी

जा ए भकचोन्हर: डॉ. जयकान्त सिंह 'जय'

भोजपुरी कहानी का आधुनिक काल (1990 के बाद से शुरु ...): एक अंश की झाँकी - विष्णुदेव तिवारी

डॉ. बलभद्र: साहित्य के प्रवीन अध्येता - विष्णुदेव तिवारी