बाजी डमरु डम डम डम

 चंदा मामा तूं आरा आवs, हम पीरो से आवत बानी।
आव मिलन होई रमना में, ससुरु तोहे बतावत बानी।।

ओक्का बोक्का तीन तड़ोका, ले आव रे लउर लाठी।
सार ससुर मिल के मारीं जा, रमावती के खंसी पाठी।।

ना खेलब ना खेले देहम, खलिसा खेल बिगाड़ब हम।
जाती से जाती लड़वाइब, बाजी डमरु डम डम डम।।

तड़वा काटs तरकुलवा काटs फेर काटs बन खाजा।
चंदन शीसो सरइ काटs, फेर बन जा बिधाएक राजा।।

बाग में बगडोलना डोले सावन के मास करइला फूले।
बढ़ियां लोगवा काटे जेल, चोर उचक्का बिचरत खूले।।

टिप्पणियाँ

लोकप्रिय पोस्ट

मुखिया जी: उमेश कुमार राय

मोरी मईया जी

जा ए भकचोन्हर: डॉ. जयकान्त सिंह 'जय'

डॉ. बलभद्र: साहित्य के प्रवीन अध्येता - विष्णुदेव तिवारी

सरभंग सम्प्रदाय : सामान्य परिचय - डॉ. जयकान्त सिंह 'जय'