खुलेआम कलमदान मत राखीं: हरेश्वर राय



अपना मन में गठान मत राखीं
संघतिया गिरगिटान मत राखीं।

चारु ओरिए चोरन के चानी बा
चनिया भरल दीवान मत राखीं।

बड़ी जालिम जबाना बा, एहसे
अन-जानल दरबान मत राखीं।

मौनियाबाबा बने से बाज आईं
कुक्कुर भी बेजबान मत राखीं।

बहुते खतरा बा कलम चोरी के
खुलेआम कलमदान मत राखीं।
हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

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