भोजपुरी भासा आ साहित्य: डॉ. जयकान्त सिंह 'जय'



१. बिहार राष्ट्रभाषा परिषद्, पटना के अस्थापना कब भइल रहे ?
उत्तर - सन् १९५० ई.
२. बिहार राष्ट्रभाषा परिषद् पटना के अस्थापना के बाद प्रकाशन खातिर सबसे पहिले कवना ग्रंथ के पाण्डुलिपि पहुँचल रहे?
उत्तर - 'भोजपुरी के कवि और काव्य' के
३. बिहार राष्ट्रभाषा परिषद्, पटना से सबसे पहिले कब आ कवना ग्रंथ के प्रकाशन भइल रहे?
उत्तर - सन् १९५२ ई. में ' विश्वधर्म-दर्शन ' के।
४. बिहार राष्ट्रभाषा परिषद्, पटना से ' भोजपुरी के कवि और काव्य ' के प्रकाशन कब भइल रहे?
उत्तर - सन् १९५८ ई. में।
५. ' भोजपुरी के कवि और काव्य ' ग्रंथ के सम्पादक के बा ?
उत्तर - डॉ. विश्वनाथ प्रसाद।
६. ' भोजपुरी के कवि और काव्य ' ग्रंथ के लेखक के बा ?
उत्तर - दुर्गाशंकर प्रसाद सिंह।
७. दुर्गाशंकर प्रसाद सिंह कवना बिभाग में कार्यरत रहलें ?
उत्तर - बिहार सरकार के जन सम्पर्क बिभाग में जिला जनसंपर्क पदाधिकारी।
८. दुर्गाशंकर प्रसाद सिंह जनसम्पर्क बिभाग से मुक्त हो के कब से कब तक अनुसंधान कार्य खातिर बिहार राष्ट्रभाषा परिषद् पटना में नियुक्त रहस ?
उत्तर - सन् १९५१ से १९५२ तक।
९. ' भोजपुरी के कवि और काव्य ' के प्रेसकॉपी तइयार करेवाला बिहार राष्ट्रभाषा परिषद् के सहकारी प्रकाशन पदाधिकारी के रहे ?
उत्तर - हवलदार त्रिपाठी ' सहृदय '।
१०. ' भोजपुरी के कवि और काव्य ' के लेखक भूमिका खातिर पुरान सनद आ दस्तावेज के प्रति कवनो लिपि में देले रहस ?
उत्तर - कैथी लिपि।
११. नागराक्षर कवना लिपि के कहल जाला ?
उत्तर - देवनागरी लिपि के।
१२. बिहार राष्ट्रभाषा परिषद्, पटना के पहिले संचालक के रहलें ?
उत्तर - आचार्य शिवपूजन सहाय।
१३. बिहार राष्ट्रभाषा परिषद्, पटना से प्रकाशन खातिर आइल पहिल पाण्डुलिपि भइला के बावजूद ' भोजपुरी के कवि और काव्य ' केतना पुस्तक के प्रकाशन के बाद प्रकाशित भइल ?
उत्तर - तेंतीस पुस्तक के बाद।
१४. ' भोजपुरी के कवि और काव्य ' का पहिले कवना भोजपुरी बिद्वान के कवन भोजपुरी ग्रंथ प्रकाशित भइल रहे ?
उत्तर - सन् १९५४ ई. में डा. उदय नारायण तिवारी के ' भोजपुरी भाषा और साहित्य '।
१५. ' भोजपुरी के कवि और काव्य ' सम्पादक डॉ. विश्वनाथ प्रसाद ' भोजपुरी का ध्वन्यात्मक तत्व के बैग्याँनिक अध्ययन करके कवना विश्वविद्यालय से डाक्टर के उपाधि पवले रहलें ?
उत्तर - लंदन विश्वविद्यालय से।
१६. डॉ. विश्वनाथ प्रसाद पटना विश्वविद्यालय के कवना विभाग के प्रोफेसर आ अध्यक्ष रहलें ?
उत्तर - हिन्दी विभाग।
१७. डॉ. विश्वनाथ प्रसाद पटना विश्वविद्यालय से अस्थानांतरित हो के कब आ कवना विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के पद पर नियुक्त हो के चल गइलें ?
उत्तर - सन् १९५८ ई. में आगरा विश्वविद्यालय के क. मु. इंस्टिट्यूट ऑफ़ हिन्दी स्टडीज एंड लिंग्विस्टिक्स विभाग में।
१८. डॉ. विश्वनाथ प्रसाद आगरा विश्वविद्यालय के कवना पत्रिका के प्रधान संपादक रहलें ?
उत्तर - ':भारतीय साहित्य ' के।
१९. सन् १९४४ ई. में हिन्दी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग से दुर्गा शंकर प्रसाद सिंह के कवन पुस्तक प्रकाशित भइल रहे ?
उत्तर - भोजपुरी लोकगीत में करुण रस ।
२०. चम्पारन का सरभंग सम्प्रदाय के संत के रचना आ जीवनी से साहित्य जगत के परिचित करावे वाला पहिल बिद्वान के रहे ?
उत्तर - दुर्गाशंकर प्रसाद सिंह।
२१. दुर्गाशंकर प्रसाद सिंह अपना नाम का साथे कवन उपनाम लगावत रहलें ?
उत्तर - नाथ।
२२. दुर्गाशंकर प्रसाद सिंह सनद, राजाज्ञा, दस्तावेज आदि के जरिए कवना समय का भोजपुरी गद्य के नमूना प्रस्तुत कइले बारन ?
उत्तर - सन् १६२० ई. के।
२३. दुर्गाशंकर प्रसाद सिंह ' भोजपुरी के कवि और काव्य ' में भोजपुरी का काव्य साहित्य के कौ भाग में बँटले बारन ?
उत्तर - पाँच भाग में।
२४. भोजपुरी के कवि और काव्य के काल विभाजन केकरा से प्रभावित बा ?
उत्तर - आचार्य रामचन्द्र शुक्ल का हिन्दी साहित्य का इतिहास के काल विभाजन से।
२५. दुर्गाशंकर प्रसाद सिंह सिद्ध साहित्य का काल के भोजपुरी साहित्य के कवन काल बतवले बारन ?
उत्तर - प्रारंभिक अविकसित काल (७०० ई. से ११०० ई. तक )
२६. सिद्ध साहित्य में भोजपुरी भासा के तत्व दरसन करावे वाला पहिले बिद्वान के बा?
उत्तर - दुर्गाशंकर प्रसाद सिंह।
२७. दुर्गाशंकर प्रसाद सिंह का ' भोजपुरी के कवि और काव्य ' ग्रंथ के लेखन खातिर कब से कब तक अध्ययन, अनुसंधान आ संकलन के काम करेके पड़ल रहे ?
उत्तर - सन् १९२४ से सन् १९४८-५० तक।
२८. दुर्गाशंकर प्रसाद सिंह ११वीं सदी से १५वीं के बीच भोजपुरी साहित्य का शून्यकाल के कवना साहित्य से भरले बारन ?
उत्तर - भोजपुरी गाथा गीत से।
२९. डॉ. कृष्णदेव उपाध्याय संत साहित्य आ आधुनिक साहित्य के बीच भोजपुरी साहित्य का शून्यकाल के कवना साहित्य से भरले बारन?
उत्तर - भोजपुरी लोक साहित्य से।
३०. डॉ. कृष्णदेव उपाध्याय के पुस्तक ' भोजपुरी साहित्य का इतिहास ' कब कवना प्रकाशन से प्रकाशित भइल रहे ?
उत्तर - सन् १९७२ ई. में भारतीय लोक संस्कृति शोध संस्थान, दुर्गाकुंड, वाराणसी ( उ. प्र. ) से।
३१. भोजपुरी के पहिले आधुनिक कवि के ह?
उत्तर - नर्मदेश्वर प्रसाद सिंह ' ईश '
३२. भोजपुरी के पहिले आधुनिक कवि नर्मदेश्वर प्रसाद सिंह ' ईश ' के जनम आ मृत्यु कब भइल रहे ?
उत्तर - जनम सन् १८३९ ई आ मृत्यु सन् १९१५ ई.
३३. भोजपुरी के पहिल आधुनिक कवि नर्मदेश्वर प्रसाद सिंह ' ईश ' का भोजपुरी कवित्त के कवना बिसय के उलेख भोजपुरी के कवि और काव्य में भइल बा ?
उत्तर - बसंत बरनन, सपथ आ प्रतिज्ञा के।
३४. आचार्य शिवपूजन सहाय बचपन में आरा के कवना हलवाई कवि का मुँहे ओकर गीत ' सिव जोगी होके बइठे जँगलवा में सुनले रहस?
उत्तर - महादेव हलवाई के।
३५. आचार्य शिवपूजन सहाय बचपन में केकरा लिखल आ गावल बिरहा में लंका दहन आ मेघनाद का लड़ाई के प्रसंग सुनले रहस ?
उत्तर - अम्बिका अहीर के।
३६.आचार्य शिवपूजन सहाय का आगे चलके कवना बिसय के महत्व बचपन में ना समुझला के दुख- अफसोस रहे ?
उत्तर - - मातृभासा भोजपुरी के कविता आ लोकभासा का महत्व के।
३७. डॉ. विश्वनाथ प्रसाद के अनुसार बँगला, मराठी, गुजराती कुछ भासा के अलावे भारत के आउर कवना भासा आ ओकरा लोक साहित्य पर सबसे अधिका काम भइल नजर आवत रहे ?
उत्तर - भोजपुरी भासा आ लोक साहित्य पर।
३८. दुर्गाशंकर प्रसाद सिंह का सन् १३७० ई. के मुल्ला दाउद के प्रेमगाथा काब्य ' लोरिकायन ' में कवना भासा के मिश्रण नजर आवत बा ?
उत्तर - भोजपुरी आ अवधी भासा के।
३९. डॉ. ग्रियर्सन भारतीय नवजागरन में सबसे जादे केकर जोगदान मनले बारन ?
उत्तर - बँगाली आ भोजपुरियन के।
४०. ' कखन हरबऽ दुख मोर ए भोलानाथ ' के ' कखन ' सब्द के आधार पर विद्यापति के ई पद मैथिली भासा के ह त ' हरबऽ दुख मोर ए भोलानाथ ' वाक्य के आधार पर ई पद कवना भासा के अन्तर्गत मानल जाए के चाहीं ?
उत्तर - भोजपुरी के।
सम्प्रति:
डॉ. जयकान्त सिंह 'जय'
प्रताप भवन, महाराणा प्रताप नगर,
मार्ग सं- 1(सी), भिखनपुरा,
मुजफ्फरपुर (बिहार)
पिन कोड - 842001

टिप्पणियाँ

लोकप्रिय पोस्ट

मुखिया जी: उमेश कुमार राय

मोरी मईया जी

जा ए भकचोन्हर: डॉ. जयकान्त सिंह 'जय'

डॉ. बलभद्र: साहित्य के प्रवीन अध्येता - विष्णुदेव तिवारी

सरभंग सम्प्रदाय : सामान्य परिचय - डॉ. जयकान्त सिंह 'जय'