ए मुखियाजी! रउरा त सभकर थाह लगा गईनी। चलनी के चालल सूपवा के फटकारल अपना के बता गईनी ए मुखियाजी! रउरा त सभकर थाह लगा गईनी। ए मुखियाजी! रउआ त जेकरा-जेकरा दुअरा गईनी भात-भवदी के त छोडीं बातो-बतकही छोड़ा गईनी ए मुखियाजी! रउरा त सभकर थाह लगा गईनी। ए मुखियाजी! रउरा त हाथ जोरि के दाँत निपोर के सबका के बुड़बक बना गईनी बाबू-बरुआ के महाभारत कराके झड़ुअन वोट बहार गईनी ए मुखियाजी! रउरा त सभकर थाह लगा गईनी। ए मुखियाजी! रउरा त चापलुसन के वंस बढ़ा गईनी दुआरा के कुकुरन के भी बब्बर शेर बना गईनी ए मुखियाजी! रउरा त सभकर थाह लगा गईनी। ए मुखियाजी! रउरा त जेकरा से ना बात-बतकही ओकरो से घीघीआ गईनी ढोंढ़ा-मंगरू छेदी-झगरू से छनही मे लाट लगा गईनी ए मुखियाजी! रउरा त सभकर थाह लगा गईनी। ए मुखियाजी! रउरा त गली-नाली के का कहीं मुड़ेरवो भसा गईनी आवास के आसारा में त घरओ में जोन्हीं देखा गईनी ए मुखियाजी! रउरा त सभकर थाह लगा गईनी। सम्प्रति : उमेश कुमार राय ग्राम+पोस्ट - जमुआँव थाना- पीरो, जिला- भोजपुर (बिहार)
जा ए भकचोन्हर, तोहरा बात बुझात नइखे ? ई 'भकचोन्हर' सब्द बिहार का राजनीति में हल्फा उठा देले बा। सब्दन के सटीक प्रयोग के लेके हम त बड़का भइया माननीय लालू प्रसाद यादव जी के गुनगान करे से ना थकीं। ई एके सब्दवा यू. पी. - बिहार का जनता के जना-जगा दिहलस कि लालू जी निरोग बाड़ें आ बहरी आ गइल बाड़ें। कांग्रेसी लोग उनका पर बमकल बा त कुछ भकुरन के भक भुला गइल बा। भाकुर के बहुबचन भकुरन। भाकुर मतलब उल्लू होला। अँजोर में एकर भक मतलब बुद्धि हेरा जाला आ उहो दिसा हीन उड़ान भरे लागेला। इहे हाल भादूर/बादूर मतलब चमगादड़ो के होला। अब आईं ए भकचोन्हर सब्द पर। ई भक आ चोन्हर दू सब्द का मेल से गजब खेल करेला। भक के मतलब होला बुद्धि। वाक्य प्रयोग से समुझीं - 'झट से हमार भक खुल गइल' माने हमार तुरते बुद्धि खुल गइल। आ चोन्हर मतलब चक्षु चाहे चोख (आँखि खातिर बंगला के सब्द) के अन्हराइल भा चोन्हिआइल। एह तरह से एकर अर्थ-अभिप्राय होला - ऐन वक्त पर अकिल गुम हो गइल। बुरबकाही के सिकार भइल। बुद्धि के चिहउनी लागल। देस, काल, परिवेस आ परिस्थिति के हिसाब से सही फैसला ना ले पावे वाला आदमी खातिर भकचोन्हर सब्द के बेव
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें