मजबूरी: उमेश कुमार राय
कब तक जुझबि रउआ किसानी में।
जियरा सकेता आ भागवा बा हेयारी में ।।
हरवा-बैलवा आ खेतवो बेंचाईल
तीज-त्योहार आईल-गईल ना बुझाईल
डाकटर-बैद के उधारी ना दिआईल
बबुनिया के लुगरी फगुओ में ना बदलाईल
कबले काटबि दिनवा परेशानी में
कब तक जुझबि रउआ किसानी में।
कवने जतन बिआहबि बिटिया
उजबुजात जियरा सुझे ना अकिलिया
दइब दगाबाज बुझस ना मजबुरिया
माहुर भईल अन-दाना हेराईल मतिया
नईया डूबे-डूबे भईल बा किनारी में
कब तक जुझबि रउआ किसानी में।
सम्प्रति:
तीज-त्योहार आईल-गईल ना बुझाईल
डाकटर-बैद के उधारी ना दिआईल
बबुनिया के लुगरी फगुओ में ना बदलाईल
कबले काटबि दिनवा परेशानी में
कब तक जुझबि रउआ किसानी में।
कवने जतन बिआहबि बिटिया
उजबुजात जियरा सुझे ना अकिलिया
दइब दगाबाज बुझस ना मजबुरिया
माहुर भईल अन-दाना हेराईल मतिया
नईया डूबे-डूबे भईल बा किनारी में
कब तक जुझबि रउआ किसानी में।
सम्प्रति:
उमेश कुमार राय ग्राम+पोस्ट- जमुआँव थाना- पिरो जिला- भोजपुर, आरा (बिहार) |
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