दुल्हा: उमेश कुमार राय

माई रे! बाबू के समझा दे
बिअहिएं तनी छान-बीन के
टिकाउ- सोझबक आ पढ़लके
दुल्हा किनीहें तनी खोज-बीन के ।

गंजेड़ी- भंगेड़ी नाहीं पियक्कड़
लफूआ-लफंगा नाहीं घुमक्कड़
हुनर-गुनर आ अकिलदार-धाकड़
तनी खोजिहेें सोच-समझ के
माई रे! बाबू के समझा दे
बिअहिएं तनी छान-बीन के

सुंदर-सुभेख ना होई त चली
धन-सम्पत्ति बिना भी ना टली
नोकरी-चाकरी के चक्कर टालि के
ना त लुटा जईहें बिना हरे-फिटकिरी के
माई रे! बाबू के समझा दे
बिअहिएं तनी छान-बीन के

सांवर-गोर के फेरा में नाहीं रहीहन,
घर-दुआर आ कूलो -खानदान थहीहन
बिधना के लिखल प विश्वासो करीहन
हमारा मोह में आपन औकात ना छोड़ीहन
माई रे! बाबू के समझा दे
बिअहिएं तनी छान-बीन के

सम्प्रति:
उमेश कुमार राय
ग्राम+पोस्ट - जमुआँव
थाना- पीरो, जिला- भोजपुर (बिहार)

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