घाघ आ उनकर कहाउत (2): उमेश कुमार राय

घाघ के दूगो कहाउत:

चैत गुड़ बैसाख तेल।
जेठ के पंथ असाढ़ के बेल।।
सावन साग न भादो दही।
कुआर करेला कातिक मही।।
अगहन जीरा पूसे धना।
माघे मिसिरी फागुन चना।।


अर्थ - घाघ के अनुसार चैत में गुड़, बैसाख में तेल, जेठ में राह, आसाढ़ में बेल, सावन में साग, भादो में दही, कुआर में करेला, कातिक में मठ्ठा, अगहन में जीरा, पौस में धनिया, माघ में मिश्री अउर फागुन में चना हनिकारक होला।

सावन हर्रे भादो चीत।
कुआर मास गुड़ खायउ मीत।।
कातिक मूली अगहन तेल ।
पूस में करे दूध से मेल।।
माघ मास घिउ खिचड़ी खाय।
फागुन उठि के प्रात नहाय।।
चैत मास में नीम बेसहनी।
बैसाखे में खाय जड़हनी।।
जेठ माह जो दिन में सोवे।
ओकर जर असाढ़ में रोवे।।


अर्थ -घाघ के कहनाम बा कि सावन में हर्रे, भादो मास में चिरायता, कुआर मास में गुड़, कातिक में मूली, अगहन में तेल, पौष माह में दूध, माघ मास में घी आउर खिचड़ी, फागुन में प्रातःकाल स्नान, चैत मास में नीम, बैसाख में जड़हन (पानी डालल बासी भात), जेठ मास के दिन में नींद के जे सेवन करेला ओकरा असाढ़ में जर- बोखार ना लागेला।
सम्प्रति:
उमेश कुमार राय
ग्राम+ पोस्ट- जमुआँव
थाना- पिरो
जिला- भोजपुर, आरा (बिहार) 

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