हाथ मिलाईं गरवा लागाईं: बिमल कुमार
हाथ मिलाईं गरवा लागाईं
प्रीति पिआ के पेयास बुझाईं।
मउवत तनले रहेले आरी
झुठे आपुसे में मारामारी
उ ना बुझेले अब्बर जब्बर
चाहे जेकरे कटेला नंबर
स्वारथ काँटा उजारि पजारि के
परमारथ के फूल उगाईं।
हाथ मिलाईं गरवा लागाईं
प्रीति पिआ के पेयास बुझाईं।
जाति पाति के बिष मत घोरीं
साधु बनीं छोड़ हतेया चोरी
लहसे दिहीं हरियर गँछियन के
नोच नाचि मति ढेर पाप बटोरीं।
हियरा में पावन गंग बहाके
झगरा उलाहना सभ भुलाईं।
हाथ मिलाईं गरवा लागाईं
प्रीति पिआ के पेयास बुझाईं।
बइठे मत दीं ही में अन्हरिया
चले ना दी कबो सही डहरिया
फुहर पातर मति सोंच राखबि त
लहरि जाई सपना के नगरिया।
फूल बिछाईं भले ना राह में
बाकी बिन-बिन काँट कुस हटाईं।
हाथ मिलाईं गरवा लागाईं
प्रीति पिआ के पेयास बुझाईं।
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