हमरा जातिये से बस सरकार चाही: बिमल कुमार
हमरा जातिये से बस सरकार चाहीं।
नोचे चोथे रोड भकोसे अलकतरा।
चोर चाईं होखे भा होखे छहितरा।
लुटे काटे मारे फारे अरु जनता के
आवे ना देवे हमरा जतिया प खतरा।।
ना चाही खास बिकास परकास हो
हमरा लूल्हे लंगड़े मौआर चाही।।
अमन चैन देखि-देखि जिया हुटहुटाला।
ढिढ़वा ई भरी कइसे कुछु ना बुझाला।
अउंघी ना लागे रतिया गड़ेला बिछौना
मारे खातिर सेंध अबो हाथ ककुलाला।।
रचिको ना घंटी शिवाला के सोहाये
हमरा रोजे हतेया बलात्कार चाही।।
राति में चरतीं कबरतीं आन टोपरी।
सान बघरतीं सवँरतीं दिन में बबरी।
दोसरा के फटला टंगरी घुसेड़तीं-
खुबे इतरइतीं बजइतीं हँसि हँसि थपरी।।
दइब दुवरे लगाइना रोज गुहार हो
परिवरवे से कुक्कुर भा बिलार चाही।।
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