घंटा



मोंछ सफाचट बा त मुंड़ाइब का घंटा
आँखि हमार कानी लड़ाइब का घंटा।

मंगरुआ दुआरे चढ़ि झोंके रोज गारी
लऊरि ना पनही तड़तड़ाइब का घंटा।
माल लेके जात बाड़न सेठजी अकेले
पेस्तउल त बा ना अड़ाइब का घंटा।

जाड़ा में पाहुनजी के होई जब आमद
राजाई में सइ छेद ओढ़ाइब का घंटा।
ना पोथी ना पतरा ना मानस ना गीता
लइकन के क्लास में पढ़ाइब का घंटा।
हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

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