लोगवा मुँह फेरि के हँसे ओह मक्कार प


मुखिया चढ़ल बाड़न चनरा के कापार प
भों भों करत फिरे उखी में सियार प ना।

लमहर कुरुता बा सिअववले
ओह प भईंसा बा बनववले
खुरिआ पटकत फिरे चउक पर बाजार प
भों भों करत फिरे उखी में सियार प ना।

देसी दिन दिन भर डकरत बा
दिनभ अकर बकर फेंकरत बा
रहि रहि टूटत बाटे नेमुआ के आँचार प
भों भों करत फिरे उखी में सियार प ना।

चनरा चचिया के घर बइठे
आपन आठों अंग ऊ अंइठे
लोगवा मुँह फेरि के हँसे ओह मक्कार प
भों भों करत फिरे उखी में सियार प ना।
हरेश्वर राय, सतना, म.प्र.

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