बाबू: उमेश कुमार राय

बाबू

उझूकुन प खड़ा होई,
करस लम्हर बात।
घर में भूंजी-भाग ना,
आ लाखन के सउगात।

कुकाठ बोल बा,
मृदुल पड़ल नाव।
अगहर हर कुकरम के,
पालना में बा पांव।

चाल-चलन में उरेब बा,
भकभौंजा भरल कपार।
कागजी कारखाना के,
लाखन के बा बेयापार।

कानवाह में पूंजी गइल,
बाबू लोगन के दुआर ।
घाटा में मनई मरल,
बिकल घर-बाधार।

बाबू लोगन के दुआर प,
लछमी खड़ा उतान।
सई मूस खा-खा के,
बाबू बनलन पुरुधान।

उमेश कुमार राय
जमुआँव, भोजपुर (बिहार)

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