गीत: संगीत सुभाष
गीत: संगीत सुभाष
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संगीत सुभाष |
कबो लछिमी के रूप
कबो शारदा सरूप
कबो सादगी की मूरत भवानी लागेली
मोर धनिया त मोहे महारानी लागेली।
कबो सादगी की मूरत भवानी लागेली
मोर धनिया त मोहे महारानी लागेली।
ना तिसना गहना-गुरिया के
ना धउजन बा पौडर के
घरनी सुघर नीक से राखसु
अरजन खरचन घर भर के
थोरिके में गुजरान
बस एही में जहान
बिना रूपा बिना सोना सुखमानी लागेली।
रेशम के जेवरि जस राखसि
नेहबंध में नाता के
जीवन के अति कठिन तपिश में
बा अइसन सुखदाता के
ज'ले करसु ना नहान
त'ले होत ना बिहान
जोगसु घरवा के पानी त्रिमुहानी लागेली।
तुलसी चउरा दियना बारसु
देवता-पितर मनावेली
मांगसु सुख परिवार पूत के
मन आभार जनावेली
भले रहेली उपास
ना डिगेला बिसवास
हमरा बचवन के माथा पर के छान्ही लागेली।
सहस बाँहि से सहस काम के
छन भर में निपटा देली
सहस आँखि से घर बाहर के
देखेली जयजा लेली
नींनि आवे ना पास
ना बइठहीं के साँस
ना ओराए वाली अबूझ कहानी लागेली।
- संगीत सुभाष
(संगीत सुभाष जी के फेसबुक पेज से साभार)
(संगीत सुभाष जी के फेसबुक पेज से साभार)