बिन बरखा बजर परे कजरी (भोजपुरी गीत): संगीत सुभाष

 बिन बरखा बजर परे कजरी (भोजपुरी गीत): संगीत सुभाष

संगीत सुभाष








बिन बरखा बजर परे कजरी।
अमिया डाली रेशम रसरी।

जेठ मेंठ बनि हेठ लुकइलें
अगिनीकुंड असाढ़ कहइलें
एको बूँन परल ना पानी
लउकल ना नभ में बदरी।

सावन साजि मेघ ना लइलें
मुअल आस सब धइले धइले
का बुलवाईं साजन के घर
का लिखि भेजीं शुभ पतरी।

ना दादुर के बोल सुनाइल
ना सरवर में कमल फुलाइल
कहीं दिखे ना तनिक हरियरी
टूटल सपन सुघर सगरी।

तड़पे मलछि पियासल धरती
लागे कोखि मांगि सब परती
का दे के संतान बझइहें
खाली बा डेहर बखरी।
-संगीत सुभाष
(संगीत सुभाष जी के फेसबुक पेज से साभार)

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