बटोहिया : एक अध्ययन- प्रो. जयकान्त सिंह 'जय'
बटोहिया : एक अध्ययन - प्रो. जयकान्त सिंह ' जय पाण्डेय जगन्नाथ प्रसाद सिंह के अनुसार रघुवीर नारायण ने 'बटोहिया' की रचना सन् १९०८ ई. में ही की थी। परन्तु, उन्होंने इसे २७ अगस्त, १९११ ई. को गणेश चतुर्थी के दिन छपरा के सार्वजनिक समारोह में पहली बार गाया था। इसे आगे और प्रसिद्धि तब मिली, जब २२ मार्च, १९१२ ई. को मोतिहारी, पूर्वी चम्पारण में आयोजित 'बिहार स्टूडेंट कांफ्रेंस' में गोपीकृष्ण सिंह ने इस अपना स्वर देके पूरे मनोयोग से गाया। उस कांफ्रेंस में इसे कई बार सुना गया। इसके बाद यह बिहार और बिहार के पड़ोस के राज्यों में होने वाले कांग्रेस के आयोजनों तथा अन्य क्रान्तिकारी दलों के समारोहों में गाया जाने वाला राष्टीय जागरण गान हो गया। सन् १९११ - १२ ई. में 'बटोहिया' को मिली लोकप्रियता के आधार पर अनेक विद्वानों ने इसी सन् ईस्वी को इसका रचनाकाल काल माना है। परन्तु, यदि इसके प्रकाशन काल से इसकी कालगत जन्मपत्री बने तो इसका प्रथम प्रकाशन काल सन् १९१६ ई. है। सन् १९१६ ई. में ही बटोहिया का प्रकाशन एक 'लक्ष्मी' नाम की पत्रिका के अगस्त अंक में हुआ था। उसके बाद...